First Human Clothes: फैशन के इस दौर में कई लोगों को सबसे पहले अपने कपड़ों का ध्यान आता है फिर रहने और खाने का ख्याल आता है. इंसानों के जिंदा रहने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान इन तीन चीजों को जरूरी बताया गया है. मानव सभ्यता के इतिहास पर जब हम नजर डालेंगे तब पता चलेगा कि भोजन इंसानों की पहली जरूरत थी. इसके काफी बाद में उन्हें कपड़े और रहने के जगहों की जरूरत पड़ी. इंसानों को छोड़कर और कोई प्राणी आपको कपड़े पहने हुए दिखाई नहीं देगा लेकिन आज भी दुनिया में कई ऐसे आदिवासी कबीले हैं जहां लोग कपड़े नहीं पहनते हैं. क्या आप बिना कपड़ों के जीवन जीने की कल्पना कर सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे इंसानों को बदन ढकने के लिए कपड़ों की जरूरत महसूस हई.


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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?


दुनियाभर के कई एंथ्रोपोलॉजिस्ट मानते हैं कि आज से करीब 1 लाख 70 हजार साल पहले इंसानों को कपड़े पहनने की जरूरत महसूस हुई. उन्होंने इंसानों के शरीर पर मौजूद दो नस्लों के जूं का जिक्र करते हुए कहा कि एक जूं इंसानों के बालों में पाए जाते हैं जबकि दूसरा इंसानों के शरीर पर बसेरा बनाता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये जूं तब इंसानों के शरीर पर आए होंगे जब इंसानों ने कपड़े पहनना शुरू किया होगा.


इनको जाता है कपड़ों के आविष्कार का श्रेय


इंसानों से पहले यूरोप में रहने वाले निएंडरथल के लिए कहा जाता है वहां की भीषण ठंड से बचने के लिए वो कपड़े पहनते होंगे. हालांकि उनके कपड़े आज के जैसे नहीं बल्कि किसी जानवर की खाल से बने हुए थे. ऐसा कहा जाता है कि मानव और निएंडरथल के पूर्वज एक ही थे और कपड़ों के आविष्कार का श्रेय एक्सपर्ट्स निएंडरथल को देते हैं. कपड़ों को लेकर मानव और निएंडरथल में एक फर्क ये भी बताया जाता है कि निएंडरथल जानवर की खाल को सुखाकर पहनते थे जबकि आज के इंसानों के पूर्वज उसे काट छांटकर और सी कर पहना करते होगें. ये भी कहा जाता है कि आज के मानवों के पास हथियार निएंडरथल से ही आए थे जिनका इस्तेमाल वो सिलाई में करते होंगे. आज भी ठंडे इलाकों में एस्किमो (ठंडे इलाकों में रहने वाले) वोल्वेराइन को मारकर उसकी खाल को कपड़ों के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. रिसर्च के हाथ ऐसे भी कई सबूत लगे जिनसे पता चलता है कि कपड़े से केवल बदन नहीं ढका जाता था बल्कि उनका इस्तेमाल सजावट के लिए भी किया जाता है.


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