Hair colour: इंसानी बालों का कलर आखिर काला ही क्यों होता है? इसके पीछे छिपा है ये लॉजिक
Natural hair colour: भारत में रहने वाले ज्यादातर लोगों के बाल आपको काले ही मिलेंगे. लेकिन एक उम्र के बाद इनका सफेद होना लाजमी है. अगर कुछ अपवादों को छोड़ दें तो बच्चा जब पैदा होता है तो काले बाल लेकर ही इस दुनिया में आता है.
Natural hair colour: हर शख्स अपने बालों को लेकर काफी सजग रहता है. बाल झड़ना या फिर सफेद हो जाना आजकल आम हो चुका है. सभी चाहते हैं कि उसके बाल काले और सुनहरे बने रहें. लेकिन क्या अभी आपने सोचा है कि पैदा होने के साथ ही बालों का रंग काला क्यों होता है? बाल हमारी बॉडी का अहम हिस्सा हैं, वह न सिर्फ किसी भी शख्स का लुक तय करते हैं बल्कि कई तरह से शरीर की रक्षा भी करते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि ये बाल आखिर काले ही क्यों होते हैं, इनका रंग हरा-पीला या फिर नीला क्यों नहीं होता है.
काले बालों के लिए ये तत्व जिम्मेदार
भारत में रहने वाले ज्यादातर लोगों के बाल आपको काले ही मिलेंगे. लेकिन एक उम्र के बाद इनका सफेद होना लाजमी है. अगर कुछ अपवादों को छोड़ दें तो बच्चा जब पैदा होता है तो काले बाल लेकर ही इस दुनिया में आता है. लेकिन बालों के रंग के पीछे भी साइंस है और यही इनके काला होने की वजह है. काले बाल होना कोई नेचुरल प्रोसेस नहीं बल्कि इसके पीछे मेलानिन नाम का एक एलीमेंट काम करता है.
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मेलानिन शरीर की एक्टिविटी के अलावा रीजन पर भी निर्भर करता है. अगर इंसानी शरीर में मेलानिन की मात्रा ज्यादा होती है तो उसकी त्वचा का रंग भी डार्क हो सकता है. इसी की वजह से भारत और आस-पास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों के बाल काले होते हैं. लेकिन एक उम्र के बाद शरीर में इस तत्व की मात्रा कम होने लगती है और इंसान के बाल सफेद होते जाते हैं. बॉडी में सबसे ज्यादा मेलानिन बालों में ही पाया जाता है और इसी वजह से बाल काले होते हैं.
अन्य देशों में क्यों होते हैं भूरे बाल?
बालों का कलर इसी मेलानिन तत्व की मात्रा पर निर्भर करता है. बॉडी में अगर यह प्रचुर मात्रा में होगा तो आपके बाल एकदम काले होंगे, मात्रा कम होने पर ब्राउन या सुनहरे बाल हो सकते हैं. नॉर्मल मात्रा में मेलानिन होने पर बालों का रंग काला ही होता है. इस तत्व की मात्रा भौगोलिक स्थिति पर भी निर्भर करती है. यही वजह है कि ठंडे इलाकों में रहने वाले लोगों के बाल गोल्डन होते हैं क्योंकि उनकी बॉडी में मेलानिन सामान्य से कम मात्रा में होता है.
रिसर्च के मुताबिक मेलानिन के अलावा इंसानी जीन भी बालों के कलर के लिए जिम्मेदार होते हैं. इसके अलावा बढ़ती उम्र के साथ बाल सफेद होने लगते हैं लेकिन इसके लिए भी सिर्फ उम्र जिम्मेदार नहीं है. कुछ बीमारियां भी बालों को उड़ा देती हैं या फिर उनका रंग बदल देती हैं. साथ ही हेरिडिटी और बाहरी फैक्टर भी बालों का कलर बदल जाने के लिए जिम्मेदार होते हैं.