Jurassic Park-style Project: कभी आपने सोचा है कि विलुप्त हो चुके जानवरों को फिर से जिंदा किया जा सकता है? बिल्कुल उसी तरह, जैसा हॉलीवुड की जानी-मानी फिल्म जुरासिक पार्क में दिखाया गया था? ये फिल्म तो हमेशा से एक साइंस फिक्शन की कहानी लगती थी, लेकिन क्या हो अगर हम आपको बताएं कि ये सच हो सकता है. विलुप्त हो चुके जानवरों को वापस लाने की प्रक्रिया को पुनर्जीवन कहते हैं, जो भले ही अजीब लगता है, लेकिन आने वाले कुछ सालों में ये आम भी हो सकता है. वैज्ञानिक जीन इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के विकास की मदद से विलुप्त हो चुके जानवरों को वापस लाने की संभावना पर तेजी से काम कर रहे हैं.


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विलुप्त जानवरों को वापस लाने की कोशिश


डोडो और मैमथ जैसे विलुप्त जानवरों को वापस लाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति करने वाले वैज्ञानिकों ने और भी ऐसे जानवरों को वापस लाने का वादा किया है. कोलोसल बायोसाइंसेज नामक एक जैव प्रौद्योगिकी कंपनी विलुप्त हो चुके जानवरों, जैसे तस्मानियाई बाघ (थैलेसीन) को वापस लाने की दिशा में पहले से ही काम कर रही है. वे अब ऐसे विलुप्त जानवरों को वापस लाने के लिए भी प्राचीन डीएनए का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनके जीवाश्म अब तक नहीं मिले हैं.


'दूसरे ग्रहों की खोज के बजाय हमें अतीत में जाना चाहिए'


कंपनी की मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी प्रोफेसर बेथ शापिरो ने एक इंटरव्यू में कहा, "अतीत, अपने स्वभाव से ही, आज मौजूद किसी भी चीज से अलग है और इसलिए नई खोजों के लिए उपयुक्त है. हम खोजकर्ताओं की तरह हैं, लेकिन ग्रह पर दूर के स्थानों पर जाने के बजाय हम दूर के अतीत में जा रहे हैं, और हमें वास्तव में नहीं पता कि हमें वहां क्या मिलेगा." ग्रीनलैंड में वैज्ञानिकों को डीएनए के ऐसे टुकड़े मिले हैं जो बीस लाख साल पुराने हैं.


डीएनए के नमूने से जानवरों को वापस लाने की कोशिश


इतना ही नहीं, शायद और भी ज्यादा पुराने जमाने के डीएनए के नमूने वहां जमे हुए हैं. जो डीएनए उन्हें मिला वो एक ऐसे जानवर का था जो 7 लाख साल पहले पाए जाने वाले घोड़े जैसा दिखता था. जुरासिक पार्क जैसी फिल्मों जैसा काम करने वाले वैज्ञानिकों को लगता है कि वो 7 लाख साल पुराने घोड़े या गधे के डीएनए से उसकी खासियतों को निकाल सकते हैं.