World's Costliest Mango: आम का मौसम है और उद्योगपति हर्ष गोयनका (Harsh Goenka) ने फलों की सबसे महंगी किस्मों में से एक की एक तस्वीर पोस्ट की है. इस तस्वीर में आप मियाजाकी (Miyazaki) देख सकते हैं, जो मुख्य रूप से जापान में उगाई जाने वाली आम की किस्म है. भारत में यह फल बहुत दुर्लभ है और इसे उगाने वालों को सुरक्षा के व्यापक इंतजाम करने पड़ते हैं. जैसा कि हर्ष गोयनका ने अपने ट्वीट में हाइलाइट किया. आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन ने अपने ट्वीट में लिखा, 'आम की असामान्य रूबी रंग की जापानी नस्ल मियाजाकी को दुनिया का सबसे महंगा आम कहा जाता है, जो ₹ 2.7 लाख प्रति किलो बेचा जाता है. मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक किसान परिहार ने दो पेड़ों को सुरक्षित करने के लिए तीन सुरक्षा गार्ड और 6 कुत्तों को काम पर रखा है.'


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सबसे महंगे आम के लिए लगते हैं सेक्युरिटी गार्ड


यह पूरी दुनिया के सबसे महंगे फलों में से एक है. पिछले साल, नॉट-सो-आम (मतलब- यह फल कॉमन नहीं है) फल की कीमत ₹ 2.70 लाख प्रति किलोग्राम हो गई थी. समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, परिहार को ट्रेन यात्रा के दौरान एक व्यक्ति से मियाज़ाकी का पौधा मिला.  कपल को इस बात का अंदाजा नहीं था कि पेड़ पर मौजूद रूबी कलर के आम जापानी होंगे. मियाजाकी आमों को अक्सर उनके आकार और तेज लाल रंग के कारण 'एग्स ऑफ सनशाइन' (जापानी में ताइयो-नो-तमागो) के रूप में जाना जाता है.


 



 


औसतन एक आम का वजन लगभग 350 ग्राम


मियाज़ाकी आम का नाम जापान के उस शहर से मिलता है जहां वे उगाए जाते हैं. औसतन एक आम का वजन लगभग 350 ग्राम होता है. एंटीऑक्सिडेंट, बीटा-कैरोटीन और फोलिक एसिड से भरपूर यह आम अप्रैल और अगस्त के बीच फसल के मौसम के दौरान उगाए जाते हैं. जापानी व्यापार संवर्धन केंद्र के अनुसार, मियाजाकी एक प्रकार का 'इरविन' आम है जो दक्षिण पूर्व एशिया में व्यापक रूप से उगाए जाने वाले पीले पेलिकन आम से अलग है.


जापानी आम लोगों के लिए हो गया बेहद ही खास


मियाज़ाकी के आम पूरे जापान में भेजे जाते हैं, और ओकिनावा के बाद जापान में उनका प्रोडक्शन वॉल्यूम दूसरे स्थान पर है. स्थानीय समाचार रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मियाजाकी में आम का उत्पादन 70 के दशक के अंत और 80 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ था. रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर के गर्म मौसम, लंबे समय तक धूप और भरपूर बारिश ने मियाज़ाकी के किसानों को आम की खेती के लिए जाना संभव बना दिया. यह अब यहां की प्रमुख उपज है.


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