China-Nepal Relations: क्या BRI पर चीन को नेपाल से मिलेगा झटका? प्रचंड की `चुप्पी` से दुनिया में मची खलबली
China BRI Project: चीन जाने से पहले नेपाल के पीएम ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि वह बीजिंग में बीआरआई को लागू करने के प्लान को लेकर बातचीत करेंगे. उन्होंने कहा था कि इस मेगा प्रोजेक्ट के लिए नेपाल चीन से अनुदान मांगेगा. लेकिन शनिवार को जारी जॉइंट प्रेस स्टेटमेंट में इसका कोई जिक्र नहीं था.
Nepal News: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड अमेरिका और चीन की दो हफ्ते लंबी यात्रा के बाद काठमांडू लौट आए हैं. काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में उन्होंने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) प्रोजेक्ट के बारे में कोई बात नहीं की.
काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, 40 सूत्रीय प्रेस नोट और पत्रकारों के साथ सवाल-जवाब वाले सेशन में भी बीआरआई का कोई जिक्र नहीं था क्योंकि पुष्प कमल दहल ने बीआरआई के तहत कुछ प्रोजेक्ट्स को क्रियान्वित करने पर चीनी नेताओं के साथ अपनी चर्चा के बारे में कुछ नहीं कहा.
किन मुद्दों पर हुई चर्चा
प्रेस नोट के मुताबिक, नेपाल और तिब्बत को रेलवे, रोड, एयर सर्विस, ट्रांसमिशन लाइन और इन्फॉर्मेशन हाइवे से जोड़ने पर चर्चा हुई. लेकिन उसको ट्रांस- हिमालयन मल्टी डाइमेंशनल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के तहत रखा गया है.
हालांकि 27 सितंबर को जारी हुए संयुक्त बयान में बीआरआई का जिक्र था. 12 मई 2017 को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के कामकाज में द्विपक्षीय सहयोग को लेकर नेपाल और चीन की सरकारों के बीच एमओयू साइन हुआ था. बयान के मुताबिक, दोनों देशों ने बीआरआई के कामकाज की योजना को फाइनल करने के लिए बातचीत में तेजी लाने पर प्रतिबद्धता जताई.
प्रेस स्टेटमेंट में नहीं था BRI का जिक्र
हालांकि चीन जाने से पहले नेपाल के पीएम ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि वह बीजिंग में बीआरआई को लागू करने के प्लान को लेकर बातचीत करेंगे. उन्होंने कहा था कि इस मेगा प्रोजेक्ट के लिए नेपाल चीन से अनुदान मांगेगा. लेकिन शनिवार को जारी जॉइंट प्रेस स्टेटमेंट में इसका कोई जिक्र नहीं था.
दहल ने ज्यादा जानकारी तो नहीं दी लेकिन यह जरूर कहा कि नेपाल के नए नक्शे का मुद्दा उन्होंने चीन के सामने उठाया. 26 अगस्त को चीन ने साल 2023 का अपना मानक नक्शा जारी किया था, जिस पर काफी बवाल हुआ था. भारत-नेपाल समेत कई देशों ने इस पर आपत्ति जताई थी. तब से लेकर अब तक चीन से इस मुद्दे पर बातचीत को लेकर मांग उठती रही है.