China-Afghan Relations: अफगानिस्तान के किस खजाने पर है चीन की नजर, जो दे दिया इतना बड़ा ऑफर!
China-Taliban Relations: चीन ने बुधवार को अफगान मुद्दे पर अपनी स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट करने और युद्धग्रस्त देश के पुनर्निर्माण के लिए दृढ़ समर्थन व्यक्त करने के लिए 11-सूत्रीय पत्र जारी किया है.
Chinese Investment In Afghanistan: अफगानिस्तान की प्राकृतिक संपदा पर चीन की नजर है. वहां लिथियम, सोना, लोहा जैसी मूल्यावान धातुएं पाई जाती हैं. चीन इन्हें हासिल करना चाहता है. चीन ने तालिबान के साथ अपने रिश्ते बढ़ा रहा है. अब उसने तालिबान को 10 अरब डॉलर का ऑफर दिया है. इसके बदले में चीन लिथियम रिजर्व हासिल करना चाहता है.
मीडिया रिपोर्ट्स चीनी कंपनी गोचिन ने कहा है कि वह अफगानिस्तानन में 10 अरब डॉलर का निवेश करने के लिए तैयार है. कंपनी यह भी कहा है कि निवेश के हिस्से के तहत वह सलांग दर्रे को 7 महीने में रिपेयर करेगी. इस संबंध में तालिबान के खनन और पेट्रोलियम मंत्री शहाबुद्दीन डेलावर ने गोचिन के प्रतिनिधियों से काबुल में मुलाकात की है. गोचिन अफगानिस्तायन के अंदर से निकाले गए लिथियम को प्रॉसेस करने की बात कर रही है.
तालिबान मंत्रालय ने कही ये बात
दूसरी तरफ तालिबानी मंत्रालय का दावा है कि चीनी निवेश से बढ़े पैमाने पर नौकरियां पैदा होंगी. 1 लाख 20 हजार लोगों को प्रत्याक्ष और 10 लाख लोगों को अप्रत्येक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान के पास लिथियम का 1 ट्रिल्यन डॉलर का अनुमानित भंडार है. चीनी कंपनी की इस सफेद सोने को हासिल करना चाहती हैं.
अफगानिस्तान के साथ संबंधों का विस्तार कर रहा है चीन
तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर जब से दोबारा कब्जा किया है तभी से चीन उसके साथ रिश्तों का विस्तार कर रहा है. तालिबान को अब तक सिर्फ चीन ने ही मान्यता दी है. ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक चीन ने बुधवार को अफगान मुद्दे पर अपनी स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट करने और युद्धग्रस्त देश के पुनर्निर्माण के लिए दृढ़ समर्थन व्यक्त करने के लिए 11-सूत्रीय पत्र जारी किया है.
क्या है 11-सूत्रीय पत्र
रिपोर्ट के मुताबिक ‘अफगान मुद्दे पर चीन की स्थिति’ शीर्षक वाले पेपर में पहले बिंदु के रूप में ‘तीन सम्मान’ और ‘तीन नेवर (कभी नहीं)’ के बीजिंग की नीति को सूचीबद्ध किया गया है.
इसमें अफगानिस्तान की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान, अफगान लोगों द्वारा किए गए स्वतंत्र विकल्पों का सम्मान करने और अफगानिस्तान के धार्मिक विश्वासों और राष्ट्रीय रीति-रिवाजों का सम्मान करना शामिल है. साथ ही इसमें कहा गया है कि चीन कभी भी अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता, अफगानिस्तान में कभी स्वार्थ नहीं चाहता और कभी भी तथाकथित प्रभाव क्षेत्र का पीछा नहीं करता.
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