China-Japan Dispute: हिंद-प्रशांत के क्षेत्र में अब चीन (China) की गुंडागर्दी नहीं चल पाएगी. चीन का लगभग उन सभी देशों से विवाद है जिनकी देश की सीमा उससे लगती है. साउथ चाइना सी (South China Sea) से लेकर प्रशांत महासागर तक के कुछ हिस्सों पर वो दावा करता और मुक्त व्यापार का भी विरोध करता है. इस वजह से हिंद-प्रशांत के क्षेत्र में एक पाले में चीन और दूसरे पाले बाकी देश साथ दिखाई दे रहे हैं. चीन की बढ़ती मुश्किलों के बीच जापान (Japan) ने भी ड्रैगन को झटका दिया है. जापान ने अपना डिफेंस बजट (Defence Budget) बढ़ाने का फैसला किया है. इससे जापानी आर्मी (Japanese Army) मजबूत होगी और दुश्मन के मुकाबले के लिए तैयार होगी.


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जापान ने इतना बढ़ा दिया रक्षा बजट


बता दें कि द्वितीय विश्वयुद्ध (Second World War) में हार के बाद से जापान का डिफेंस बजट काफी कम था. लेकिन अब जापान ने इसकी जरूरत समझी है और डिफेंस बजट को साल 2023 में 51.4 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का फैसला कर लिया है. द्वितीय विश्वयुद्ध में हुई बर्बादी के बाद से जापान ने अपने विकास पर ध्यान दिया और एक विकसित देश बन गया है. लेकिन अब उसने सैन्य रूप से मजबूत बनने का फैसला किया है. इसमें क्वाड के अन्य देश अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत भी उसका साथ दे रहे हैं.


पीएम किशिदा ने कही ये बड़ी बात


गौरतलब है कि हाल ही में जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने जापानी संसद में नया बजट पेश किया था. ऐसा क्रांतिकारी बजट जापान ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के युग से नहीं दिया था. जापान के सुरक्षा बजट में बढ़ोतरी से चीन परेशान है. अब उसकी विवादित नीतियों का विरोध करने वाला एक और देश सैन्य रूप से ज्यादा मजबूत होने जा रहा है.


जापान ने आक्रामक पहलू पर दिया जोर


अपने बजट बयान में पीएम फुमियो किशिदा ने कहा कि जापान ने रक्षात्मक और आक्रामक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए रक्षा बजट तैयार किया. जान लें कि मंगलवार को जापान और भारत ने पहली ज्वाइंट एयर ड्रिल भी की. इसके अलावा भारत ने भी जापान को ज्वाइंट एयर एक्सरसाइज के लिए आमंत्रित किया है.


जान लें कि जापान की तरफ से रक्षा बजट में की गई बढ़ोतरी का एक कारण उत्तर कोरिया भी है. जापान का पड़ोसी उत्तर कोरिया लगातार मिसाइल टेस्ट करता रहता है और जापान की ओर समुद्र में दागता रहता है. इससे जापान की सुरक्षा को खतरा है. फिलहाल जापान के सैन्य रूप से मजबूत होना चीन और उसके साथ उत्तर कोरिया के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.


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