Starlink: चीन ने कहा है कि वह एलन मस्क के स्टारलिंक की तरह धरती की कक्षा में मौजूद सैटेलाइट्स को वह नष्ट कर सकता है. चीन के इस दावे की वजह है पिछले दिनों चीनी वैज्ञानिकों द्वारा न्यू्क्लियर लैबोरेट्री में अंतरिक्ष के एक किनारे पर किया गया मध्यम स्तर का परमाणु विस्फोट. दरअसल इस विस्फोट के बाद होने वाले रेडिएशन से अस्थायी स्तर पर बादलों का निर्माण होता है. ये बादल पृथ्वी की निचली कक्षा यानी लो अर्थ ऑर्बिट में मौजूद सैटेलाइट्स को तबाह कर सकते हैं. 


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नॉर्थवेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी (एनआईएनटी) ने इस इसी महीने एक पेपर पब्लिश किया है. 15 अक्टूबर को यह रिसर्च जर्नल न्यूइक्लियर टेक्निक्सो में जारी हुई है.  मीडिया रिपोर्ट्स में शोधकर्ताओं के हवाले से बताया गया है कि अलग-अलग ऊंचाई पर परमाणु हथियार के प्रभावों को देखने के लिए विशेष रूप से विकसित एक एडवांस्ड कंप्यूटर मॉडल डाटा तैयार किया गया है. बता दें एनआईएनटी परमाणु हथियारों पर शोध करता है. यह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के अधीन काम करता है. 


आकार में बहुत बड़ा हो  सकताहै रेडिएक्टिव बादल
शोधकर्ताओं का मानना है कि हवा में मौजूद कण विस्फोट के कारण रेडियोएक्टिव तत्वों में बदल सकते हैं. बाद में यही कण बादल बनाते हैं. ये रेडियोक्टिव बादल बादल पांच मिनट के अंदर धरती से 500 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकता है. यह 140,000 स्क्वॉयर किलोमीटर वाले इलाके में फैल सकता है.  हालांकि शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि अंतरिक्ष में सिर्फ एक परमाणु विस्फोट हवा की अनुपस्थिति के कारण अधिक बादल नहीं पैदा करेगा.


ब्लास्ट से बनती है रेडियोएक्टिव बेल्ट
शोधकर्ताओं के मुताबिक बादल के ब्लास्ट होने से पैदा एनर्जी के कण धरती पर कब्जा कर लेते हैं. इन कणों से रेडियोएक्टिव बेल्ट का निर्माण होता है. यह बेल्ट किसी भी स्पेसक्राफ्ट के लिए बड़ा खतरा हो सकती है. यह बादल 2.3 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती के ऊपर उठता है. इससे उन सैटेलाइट्स के खिलाफ बादलों का जाल तैयार करता है.


बता दें चीन की सेना स्टारलिंक को एक बड़े खतरे के तौर पर देखती है. पीएलए का मानना है कि स्टांरलिंक्स का प्रयोग, अमेरिकी सेना बाहरी अंतरिक्ष पर प्रभाव जमाने के लिए कर सकती है.


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