Chinese Research and Survey Ship to dock at Hambantota: बेशक अभी पूरी दुनिया की निगाह चीन की अमेरिका और ताइवान से चल रही टकराहट पर टिकी है, लेकिन इस बीच चीन की एक हरकत ने भारत की भी चिंता बढ़ा दी है और सरकार इस पर लगातार करीब से नजर बनाए हुए है. दरअसल, एक चीनी रिसर्च और सर्वे पोत दक्षिणी श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह की तरफ बढ़ रहा है. इस जहाज के 11 अगस्त तक बंदरगाह पर पहुंचने की संभावना जताई जा रही है. युआन वांग 5 नाम के इस जहाज के 17 अगस्त तक यहां रहने की बात कही जा रही है. आइए जानते हैं क्या है इस जहाज से भारत की चिंता और कैसे ये इंडिया-श्रीलंका संबंधों को फिर से प्रभावित कर सकता है.


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श्रीलंका क्या कहता है इस मामले में


30 जुलाई को श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल नलिन हेराथ ने कोलंबो में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि "जहाज 11 से 17 अगस्त तक हंबनटोटा में रहेगा, मुख्य रूप से इसके रुकने की वजह ईंधन है. इस तरह के जहाज समय-समय पर भारत, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे विभिन्न देशों से आते रहे हैं और इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है."


भारत के लिए इसलिए है खतरा


दरअसल युआन वांग 5 एक डबल यूज वाला जासूसी पोत है, जो अंतरिक्ष और उपग्रह ट्रैकिंग के लिए बनाया गया है. यह बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च में भी सक्षम है. शिप में 400 लोगों का क्रू है. साथ ही इस पर एक बड़ा सा पाराबोलिक एंटिना लगा हुआ है और कई तरह के सेंसर मौजूद हैं. इसकी सबसे खास बात ये है कि यह परमाणु ऊर्जा संयत्रों की भी जासूसी कर सकता है. ऐसे में भारत के लिए खतरा और बढ़ जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक हंबनटोटा बंदरगाह से भारत के कलपक्कम और कूडनकुलम परमाणु ऊर्जा स्टेशनों की दूरी 750 किलोमीटर है. इसके अलावा दक्षिणी भारत के 6 बंदरगाहों की दूरी भी ज्यादा नहीं है. ऐसे में इन सबकी "जासूसी" होने का खतरा है. वहीं, इस पूरे घटनाक्रम पर भारत काफी नजदीक से नजर बनाए हुए है. भारत के विदेश मंत्रालय ने इस पर कहा है कि, हमारी जानकारी में ये मामला है और लगातार इस पर नजर बनाए हुए हैं. श्रीलंका सरकार से भी इस पर बात की गई है.



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