बीजिंग: विदेशी कंपनियों द्वारा शिनजियांग (Xinjiang) पर बयानबाजी से चीन (China) बौखला गया है. चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने इसे आंतरिक मामलों में दखलंदाजी करार दिया है. विदेशी ब्रांड ‘एच एंड एम’ और कपड़े-जूते बनाने वालीं अन्य कंपनियों ने शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चीन की निंदा की थी. कंपनियों ने कहा था कि चीन में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. अब चीन ने इन कंपनियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. कम्युनिस्ट पार्टी की यूथ लीग ने अपने सोशल मीडिया (Social Media) अकांउट पर H&M के मार्च 2020 के एक बयान का जिक्र करते हुए कंपनी पर निशाना साधा है.


इन Companies से खफा है China


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H&M ने अपने बयान में कहा था कि वह शिनजियांग में उगाया गया कपास नहीं खरीदेगी. स्वीडन के इस ब्रांड ने कहा था कि वह शिनजियांग क्षेत्र (Xinjiang Region) में जबरन मजदूरी कराए जाने की खबरों से बेहद चिंतित है. सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ के अनुसार, अन्य कंपनियों जैसे ही बारबेरी, एडिडास, नाइक और न्यू बैलेंस ने भी दो वर्ष पूर्व शिनजियांग के कपास को लेकर प्रतिकूल टिप्पणियां की थीं. जिसके बाद मशहूर गायक और अभिनेता वांग सिबो सहित कई हस्तियों ने H&M और नाइकी के साथ विज्ञापन अनुबंध समाप्त करने के घोषणा की थी.


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EU, US ने लगाया प्रतिबंध 


विदेशी विश्लेषकों और सरकारों के अनुसार चीन ने शिनजियांग प्रांत में दस लाख से अधिक लोगों को शिविरों में कैद कर रखा है और उनसे जबरन काम कराया जाता है. इनमें से अधिकांश वीगर मुस्लिम जातीय समूह से हैं. सोमवार को यूरोपीय संघ, अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने संयुक्त रूप से चीन के चार वरिष्ठ अधिकारियों पर यात्रा और वित्तीय प्रबिबंध लगाने की घोषणा की थी. यह कार्रवाई शिनजियांग में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लघन को ध्यान में रखकर एके गई है. अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि जब तक चीन अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय बंद नहीं कर देता, उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाते रहेंगे. 


TV Show में ऐसे कसा कंपनियों पर तंज 


चीन के सरकारी टेलीविजन पर भी विदेशी कंपनियों की आलोचना की गई. एक कार्यक्रम में कहा गया कि ‘एच एंड एम’ कैसे चीनी चावल खाकर उस बर्तन को तोड़ सकती है. कहने का मतलब है कि चीन में अपने उत्पादों को बेचकर, मोटा मुनाफा कमाकर कैसे कंपनी चीन की बुराई कर सकती है? कैसे यहां की व्यवस्थाओं पर सवाल उठा सकती है. गौरतलब है कि चीन शिनजियांग के मुद्दे पर बेहद संवेदनशील है. इसे लेकर होने वाली हर टिप्पणी उसे परेशान कर देती है. वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी साफ कर चुका है कि ये उसका आंतरिक मामला है.