बीजिंग: नए साल में चीन (China) ने लोगों की धार्मिक आजादी (Religious Freedom) पर अंकुश लगाने की पूरी तैयारी कर ली है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के नेतृत्व में सरकार ने नियमों का ऐसा खाका तैयार किया है, जो विदेशी धर्मों को मानने वालों को तमाम तरह की परेशानियों में झोंक देगा. चीन की कम्युनिस्ट सरकार अल्पसंख्यकों पर पहले से ही जुल्म ढहा रही है अब नए नियमों से उसने यह साफ करने का प्रयास किया है कि चीन में किसी दूसरे धर्म की बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. 


नियमों का करना होगा पालन 


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‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना में विदेशी धार्मिक गतिविधियों की व्यवस्था के संबंध में प्रावधान’ नामक मसौदे को सरकार ने नवंबर में प्राकशित किया था और 17 दिसंबर पर टिप्पणियां मांगी गई थीं. इस मसौदा कानून में 5 अध्यायों के तहत 40 अनुच्छेद हैं. अध्याय- I (अनुच्छेद 1-5) मुख्य रूप से 'विदेशियों' और 'चीन में विदेशियों की धार्मिक गतिविधियों' जैसे शब्दों को परिभाषित करने पर केंद्रित है. अनुच्छेद -5 में कहा गया है कि 'चीन में धार्मिक गतिविधियों का संचालन करने वाले विदेशियों को चीन के कानूनों, नियमों का पालन करना होगा.  चीन (China) की धार्मिक संस्कृति क सम्मान करना होगा. अध्याय -1 में 'चीन की धार्मिक स्वतंत्रता' दर्शाता है कि बीजिंग विदेशी धर्मों से छुटकारा पाना चाहता है. चीन का यह प्रयास मुख्य रूप से ईसाई समुदाय को निशाना बनाने पर केंद्रित है, क्योंकि ईसाई धर्म सबसे तेजी से बढ़ते धर्मों में से एक है और अब तक विदेशियों को चीन में बतौर ईसाई रहने की आजादी मिली हुई है.


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हर बात की देनी होगी Detail


अध्याय- lI (अनुच्छेद 6-21) में कहा गया है कि विदेशी धर्म गुरुओं को चीन में धार्मिक गतिविधियां आयोजित करने के लिए परमिट के लिए आवेदन करना होगा. साथ ही यह भी बताया गया है कि मिशनरियों को परमिट के लिए आवेदन करते समय कौन-कौन से दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे. इसके अलावा, आयोजन की छोटी-बड़ी हर जानकारी प्रशासन को प्रदान करनी होगी. जैसे कि कितने लोग शामिल होंगे, उनकी व्यक्तिगत जानकारी, वीजा स्टेटस आदि. इस अध्याय में यह भी कहा गया है कि मिशनरी धार्मिक शिक्षा और प्रशिक्षण जैसे आयोजन नहीं कर पाएंगी. उन्हें नए फॉलोअर्स बनाने, चीनी नागरिकों से दान स्वीकार करने का भी अधिकार नहीं होगा.


China Friendly बनना होगा
अध्याय- Ill (अनुच्छेद 22-29) में यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि चीन में धार्मिक आयोजन करने वालीं विदेशी मिशनरियों को पहले अपने देश में ये दर्शाना होगा कि वे चाइना फ्रेंडली हैं. यानी एक तरह से चीन ने यह साफ कर दिया है कि केवल उन्हीं देशों को अपने धर्म का प्रचार करने की अनुमति मिलेगी, जो तिब्बत जैसे मुद्दों पर चीन के साथ हैं. अध्याय- IV (अनुच्छेद 30-36) में नियमों के उल्लंघन पर मिलने वाले दंड का उल्लेख किया गया है. इसमें कहा गया है कि नियम तोड़ने वालों के खिलाफ जासूसी विरोधी कानून के तहत कार्रवाई होगी. मसौदे में यह भी कहा गया है कि उन अधिकारियों को भी दण्डित किया जाएगा, जो धार्मिक आयोजन या विदेशी धर्म के प्रचार-प्रसार में विदेशियों की किसी भी तरह से मदद करते हैं. 


दूसरे देशों को दिया स्पष्ट संदेश


अध्याय- V (अनुच्छेद 37-40) में धार्मिक संगठन, नेताओं की जिम्मेदारी का जिक्र है. कुल मिलाकर कहा जाए तो चीनी सरकार अपनी संस्कृति और धर्म के अलावा किसी दूसरे धर्म को बर्दाश्त नहीं करना चाहती. नए नियमों के तहत उसने यही दर्शाने का प्रयास किया है. साथ ही एक तरह से उसने ईसाई धर्म मानने वाले देशों को स्पष्ट संदेश भी दे दिया है कि उन्हें अपने धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए चीन के अनुकूल फैसले लेने होंगे. बता दें कि चीन में वीगर मुसलमानों का सालों से शोषण हो रहा है. उनसे बंधुआ मजदूरों की तरह काम कराया जाता है.  


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