Pakistan Supreme Court: पाकिस्तान में पहले से जारी राजनीतिक और आर्थिक संकट के बीच देश की शीर्ष न्यायपालिका में भी अब दरारें दिखने लगी हैं. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों ने पीठ का गठन करने और स्वत:संज्ञान नोटिस लेने की प्रधान न्यायाधीश की शक्तियों को चुनौती दी.


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सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सैयद मंसूर अली शाह और न्यायमूर्ति जमाल खान मंदोखैल ने इस महीने की शुरुआत में विस्तृत रूप से लिखे गए अपनी अस्वीकृति वाले फैसले में प्रधान न्यायाधीश को प्राप्त ‘वन मैन शो’ वाली शक्तियों की समीक्षा करने की मांग की.  उनका फैसला प्रधान न्यायाधीश उमर एटा बांदियाल द्वारा 22 फरवरी को पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रातों में चुनावों के संबंध में लिए गए स्वत: संज्ञान नोटिस के मुकदमे पर था.


पांच सदस्यीय पीठ ने एक मार्च को दिया था फैसला
न्यायालय के पांच सदस्यीय पीठ ने एक मार्च को 3-2 के बहुमत से पाकिस्तानी निर्वाचन आयोग को पंजाब में चुनाव के लिए राष्ट्रपति आरिफ अल्वी और केपी में चुनान के लिए गवर्नर गुलाम अली से संपर्क करने का निर्देश दिया.


न्यायमूर्ति शाह और न्यायमूर्ति मंदोखैल का फैसला बहुमत से इतर था जिसने चुनाव आयोग को किसी प्रकार की राजनीतिक दिक्कत होने पर 90 दिन की तय सीमा से बेहद कम ऊपर-नीचे करते हुए चुनाव कार्यक्रम तय करने को कहा था.


और क्या कहा दोनों जजों ने?
अपने विस्तृत 28-पृष्ठ के नोट में,  दो असंतुष्ट न्यायाधीशों ने स्वत: संज्ञान शक्तियों के बारे में विस्तार से बात की. दोनों ने यह भी रेखांकित किया कि संस्था को मजबूत करने और शीर्ष अदालत में जनता के विश्वास को सुनिश्चित करने के लिए, ‘यह उचित समय है कि हम पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय द्वारा आनंदित 'वन-मैन शो' की शक्ति पर फिर से विचार करे.’


(इनपुट - एजेंसी)


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