नई दिल्ली: चारोंं तरफ से आलोचन झेल रहा चीन (China) अब वैश्विक शर्तों (global terms) को निर्धारित करने के लिए रुपयों की ताकत आजमा रहा है. श्रीलंका (Sri Lanka) को अपने जाल में फंसाने के लिए चीन  बड़ी साजिश रच रहा है. चूंकि श्रीलंका इस समय खराब अर्थव्यस्था के कारण तत्काल वित्तीय मदद की तलाश में है, इसलिए चीन उसे प्रलोभन दे रहा है. आईएमएफ के पास जाने के बजाय प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) गलती करते हुए सीधे बीजिंग पहुंच गए और लोन मांगने लगे. इतना ही नहीं जब चीन के शीर्ष राजनयिक यांग जे-चे ने कोलंबो का दौरा किया तब श्रीलंकाई राष्ट्रपति द्वारा उनका स्वागत किया गया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

साल भर में तीसरी बार चीन से मांगा लोन
एक रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका को 15 बिलियन डॉलर से अधिक ऋण की जरूरत है. श्रीलंका और चीन के बीच 700 मिलियन डॉलर के नए ऋण के लिए बातचीत चल रही है. इस वर्ष कोलंबो द्वारा बीजिंग से ऋण के लिए यह तीसरा अनुरोध है. इससे पहले चीन ने COVID-19 के खिलाफ लड़ाई के लिए श्रीलंका को 500 मिलियन डॉलर का ऋण दिया था. मई तक, श्रीलंकाई कैबिनेट 105 किलोमीटर तक सड़कों को बेहतर बनाने के लिए 80 मिलियन डॉलर का और कर्ज लेना चाहती थी.


तीन बिलियन डॉलर का कर्ज है बकाया
इन हालातों से ऐसा लगता है कि चीन श्रीलंका के लिए एक मात्र ऋणदाता बन गया है. एक अनुमान के अनुसार, श्रीलंका पर इसी वर्ष करीब तीन बिलियन डॉलर का ऋण बकाया है. 2018 तक श्रीलंका चीन से कुल मिलाकर पांच बिलियन डॉलर का कर्ज ले चुका था. पिछले 55 वर्षों में श्रीलंका ने 16 बार आईएमएफ को बेलआउट किया है. श्रीलंका ने आईएमएफ के 16 कार्यक्रमों में से केवल 9 को पूरा किया है.


कोरोना के बाद श्रीलंका की अर्थव्यवस्था तबाह
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, चीन के बैंक ने पिछले साल कोलंबो को एक बिलियन डॉलर का ऋण देने पर सहमति व्यक्त की थी. COVID-19 के प्रकोप ने श्रीलंकाई सरकार के राजस्व को खत्म कर दिया है. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने श्रीलंका को डाउनग्रेड कर दिया है. मौजूदा उधारदाताओं का कर्ज चुकाने के लिए श्रीलंका और अधिक पैसा उधार ले रहा है. अगर कोलंबो इस रास्ते पर जारी रहता है तो उसकी हालत पाकिस्तान जैसी हो सकती है. चीन की यही साजिश है कि दक्षिण एशिया में चीन को पाकिस्तान जैसा एक और प्यादा मिल जाए.


VIDEO