नई दिल्‍ली : खुफिया एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे देखकर पाकिस्तान में छिपे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम कासकर के पैरों तले जमीन खिसक गई है. पिछले 5 सालों में दाऊद और उसके कई साथियों के पर काट देने के बाद छटपटा रहे दाऊद को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की दोबारा ताजपोशी ना होकर डी कंपनी के अच्छे दिन आएंगे, लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत देखने के बाद अंडरवर्ल्ड डॉन बेहद खौफज़दा है. सूत्रों ने यह दावा किया है. सूत्रों का यह भी दावा है कि नतीजे आने के बाद बौखलाए दाऊद ने गुरुवार देर रात आनन-फानन में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी और दो रिटायर्ड अधिकारियों को फोन लगाकर अपनी चिंता जाहिर की.


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सूत्रों के मुताबिक, "इस बातचीत के दौरान उसने मोदी की बढ़ती लोकप्रियता के अलावा अमेरिका और इजरायल जैसे देशों के साथ पीएम मोदी के बेहतर रिश्तों का जिक्र किया और आईएसआई से उसकी जान बचाने के लिए मदद की गुहार लगाई".


रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर पीके जैन के मुताबिक, "बीजेपी सरकार की वापसी से बहुत सारे इंटरनेशनल इक्वेशन चेंज होंगे. एक मजबूत सरकार आने से पाकिस्तान और दाऊद पर साइकोलॉजिकल प्रेशर तो बढ़ेगा, लेकिन दाऊद आएगा कि नहीं ये इस सरकार पे निर्भर करेगा कि वो किस हद तक पाकिस्तान के सरकार पर दबाव बना पाएगी. वैसे भारत सरकार दाऊद को वापस लाने के लिए पुरजोर कोशिश करेगी. पाकिस्तान के कई राज़ दाऊद के पास है तो पाकिस्तान का दाऊद को सौंपना या भारत का उसे पकड़ लाना ये कार्य मुश्किल तो है, लेकिन नामुमकिन नहीं. ये आने वाले समय पर सब निर्भर करता है."



सूत्रों का कहना है कि दाऊद को इस बात का डर है कि नरेंद्र मोदी उसे पकड़ने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. उसने आईएसआई के अधिकारियों को सचेत किया कि नरेंद्र मोदी किसी ऐसे ऑपरेशन को भी अंजाम दे सकते हैं, जिसके बारे में आईएसआई को भनक तक नहीं लगेगी. अंडरवर्ल्ड डॉन को इस बात का भी खौफ है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद भी दाऊद के खिलाफ किसी बड़ी कार्रवाई में मोदी सरकार की मदद कर सकते हैं. यही वजह है कि दाऊद अपनी सुरक्षा को लेकर आईएसआई के सामने अब गिड़गिड़ाने को मजबूर है. सूत्रों के मुताबिक, आईएसआई के अधिकारियों ने दाऊद को आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही अपने आकाओं के साथ एक अहम बैठक बुलाकर इस मामले में फैसला लेंगे.



वरिष्ठ पत्रकार एस. बालाकृष्णन के मुताबिक, "अजीत डोभाल पहले से ही दाउद की डी-कंपनी को लेकर वर्क आउट कर रहे हैं. मोदी सरकार पार्ट-2 है, इसने अंतरराष्टीय स्तर पर अपनी पैठ बनाई है. दाऊद का बचना अब मुश्किल है. कोई न कोई एक ऑपरेशन या दूसरा रास्ता तलाशकर डी कंपनी का काम तमाम हो सकता है. दाऊद को पाकिस्तान सीधे भारत को सौंपने में आनाकानी करेगा, लेकिन वह शायद दाऊछ को कहीं और जाने की सलाह देगा. इस हालात में अंतरराष्ट्रीय देशों के साथ मिलकर भारत गुप्त ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है."


गौरतलब है कि अब तक पिछले 5 सालों में मोदी सरकार दाऊद की कई संपत्तियों को जब्‍त करने के अलावा उसके भाई इकबाल कासकर समेत कई खास गुर्गों को पकड़कर भारत ला चुकी है. ऐसे में जानकारों का भी मानना है कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के खिलाफ शिकंजा कसने के बाद अगला निशाना दाऊद इब्राहिम कासकर भी हो सकता है. इस बात से शायद खुद दाऊद भी अच्छी तरह वाकिफ है और यही उसके डर की सबसे बड़ी वजह है.