Semiconductors: चीन और ताइवान के बीच तनाव के माहौल के मद्देनजर भारत ने कमर कस ली है. भारत की तैयारी कुछ ऐसी है कि बाजार पर फर्क न पड़े. अगर चीन और ताइवान के बीच युद्ध होता है, तो इसका सीधा असर चिप मैन्युफैक्चरिंग पर दिखेगा. इसकी वजह है कि चीन और ताइवान दोनों देश ही सेमीकंडक्टर के बड़े निर्यातक देश हैं. 


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भारत ने की है जबरदस्त प्लानिंग


ऐसे में भारत की योजना कुछ ऐसी है कि युद्ध के बाबजूद भी भारत में सेमीकंडक्टर की कमी नहीं होगी. इस स्वतंत्रा दिवस पर पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से भी सेमीकंडक्टर का जिक्र किया था. इसी बीच इंडिया इलेक्ट्रानिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आइईएसए) ने उम्मीद जताई है कि देश के सेमीकंडक्टर उपकरण बाजार का आकार वर्ष 2026 तक 300 अरब डालर होने की उम्मीद है. 


बड़े पैमाने पर हो रहा निवेश


ऐसे में आने वाले कुछ सालों में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना से घरेलू सेमी-कम्पोनेंट्स को बढ़ावा मिलेगा. महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश होने जा रहा है.


ताइवन-चीन पर ही निर्भर हैं अधिकतर देश 


बता दें कि मोबाइल हो या कार, कंप्यूटर हो या घरेलू से लेकर वाणिज्यिक उपयोग में आने वाली छोटी-बड़ी मशीनें, सभी में सेमीकंडक्टर बहुत काम की चीज है. दुनिया के तमाम देश सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में विदेश, खासकर ताइवान पर निर्भर है. भारत भी उनमें से एक है जो सेमीकंडक्टर के लिए ताइवान पर निर्भर है. लेकिन बहुत जल्द यह तस्वीर बदलने वाली है.


क्या होता है सेमीकंडक्टर?


गौरतलब है कि सेमीकंडक्टर एक खास तरह का पदार्थ होता हैय इसमें विद्युत के सुचालक और कुचालक के गुण होते हैं. ये विद्युत के प्रवाह को नियंत्रित करने का काम करते हैं. यह सिलिकॉन से बनते हैं. इसमें कुछ विशेष तरह की डोपिंग को मिलकर इसके सुचालक गुणों में बदलाव लाया जाता है. इससे इसके वांछनीय गुणों का विकास होता है और इसी पदार्थ का इस्तेमाल करके विद्युत सर्किट चिप बनाया जाता है. इसके जरिए डाटा प्रोसेसिंग होती है. आसान शब्दों में समझें तो सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रानिक डिवाइस का दिमाग होता है.


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