UNSC Meeting : भारत ने एक बार फिर दुनिया को चीन (India vs China) की चालबाजी से आगाह किया है. संयुक्त राष्ट्र (UN) के मंच से इस बार भारत ने बीजिंग की करतूतों की कलई खोलते हुए दुनिया को आईना दिखाया है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक बैठक में भारत ने चीन पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि इंटरनेशनल कम्युनिटी को फौरन पारदर्शी और न्यायसंगत फंडिग स्कीम पर काम करना चाहिए. वरना बहुत देर हो जाएगी.


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'चीनी लोन के जाल से छोटे देशों को बचाने की जरूरत'


भारतीय अफसर ने अपने संबोधन में ये भी कहा, 'सभी देशों को अस्थिर वित्तपोषण के खतरों के प्रति सतर्क रहना चाहिए जो लोन के जाल के दुष्चक्र की ओर ले जाता है.'


संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के स्थायी मिशन में दूत आर मधुसूदन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सोमवार को 'अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखना : सामान्य विकास के माध्यम से स्थायी शांति को बढ़ावा देना' नामक विषय पर आयोजित एक खुली बहस में कहा, ‘यदि संसाधनों की कमी बनी रही तो विकास एक दूर का सपना है. इसलिए, भारत ने G-20 की अपनी मौजूदा अध्यक्षता सहित विभिन्न मंचों पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के सुधार की दिशा में काम किया.’


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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 15 सदस्यीय समिति की यह बैठक चीन की इस महीने की अध्यक्षता में हुई. मधुसूदन ने कहा कि जैसा कि बैठक के अवधारणा पत्र से पता चलता है, ‘हमें पारदर्शी और न्यायसंगत वित्तपोषण पर काम करना चाहिए और अस्थिर वित्तपोषण के खतरों के संबंध में सतर्क रहना चाहिए जो ऋण जाल के दुष्चक्र की ओर ले जाता है.’


उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक दृष्टिकोण में संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के तीन स्तंभों- शांति एवं सुरक्षा, विकास और मानवाधिकारों की परस्पर निर्भरता को शामिल किया जाना चाहिए.


मधुसूदन ने कहा, ‘ दुनिया की शांति को बनाए रखने के लिए ऐसे कुछ उपाय बेहद जरूरी हैं. सुरक्षा उपाय बहुआयामी है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के अन्य निकायों के लिए अनिवार्य पहलुओं सहित हर पहलू में सुरक्षा परिषद की भागीदारी उचित नहीं हो सकती.’


(एजेंसी इनपुट के साथ)