Story Of General Rani: यह कहानी पाकिस्तान के तानाशाह जनरल याहया खान की करीबी महिला की है. जिस पर वो आंख मूंदकर भरोसा करता था. इस महिला को लोग बड़े अदब के साथ जनरल रानी कहकर बुलाते थे. नजरें मिलते ही लोग खड़े होकर उन्हें अदब से सलाम पेश करते थे. जनरल रानी का असली नाम अकलीम अख्तर था. जनरल याहया खान से नजदीकियों के चलते उन्हें जनरल रानी कहा जाने लगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक कम उम्र में ही उसकी शादी एक दोगुनी उम्र के पुलिसवाले से करा दी गई. जिससे उसके बच्चे हुए. लेकिन वो जिंदगी से खुश नहीं थी उसे जिंदगी में कुछ बड़ा मुकाम हासिल करना था.


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ऐसे 360 डिग्री बदल गई जिंदगी


अकलीन शुरू से ही जीवट और दबंग टाइप की महिला थी जो पुरुषवादी सोच के खिलाफ आवाज उठाने का दम रखती थी. यही वजह थी कि आए दिन उसका अपने पति से झगड़ा होता था. एक दिन सरे आम बाजार में बात बिगड़ गई तो वहीं उन्होंने अपना बुर्का उतार कर फेंक दिया और बाद में शौहर से तलाक ले लिया. 


यहीं से शुरू होती है अकलीम अख्तर से जनरल रानी बनने की कहानी. शादी टूटने के बाद वो मजबूरी में दिन गुजार रही थीं. उन्हें मालूम नहीं था कि अब जिंदगी कैसे कटेगी. खर्चा कैसे चलेगा. वो बला की खूबसूरत थी, इसलिए उसने उस पेशे में उतरने का फैसला किया, जो सदियों से बदनाम रहा है. आगे वो लाहौर और कराची समेत देश भर में बने बड़े-बड़े क्लबों में जाने लगीं. जहां मुल्क के जाने-माने रसूखदार और पैसे वाले लोग आते थे. एक दिन जनरल याहया खान की नजर उन पर पड़ी और दोनों में दोस्ती हो गई. याहया खान आला दर्जे का अय्याश आदमी था. 



जिसके बारे में मशहूर था कि अगर एक बार पीने बैठ जाए तो तब तक नहीं रुकता था जब तक कि गिर ना जाए. दूसरी ओर अकलीम को भी ऐसे ही किसी आदमी की तलाश थी जो पैसे वाला होने के साथ पावरफुल भी हो. याहया खान में दोनों खूबियां थीं. उसकी तलाश पूरी हो चुकी थी. कहते हैं उस दौर में याहया और अकलीम का जबरदस्त प्रेम प्रेसंग शुरू हुआ और यहीं से अकलीम अख्तर बन गई पाकिस्तान की जनरल रानी.


जनरल के बराबर था रुतबा


अकलीम अख्तर उर्फ जनरल रानी का दबदबा इतना बढ़ गया था कि लोग अपनी परेशानियों के हल के लिए उनके पास आने लगे. वो सरकारी कामकाज और फौज के मामलात में भी 'जनरल रानी' साबित होने लगी. सेना से लेकर सरकार के बड़े-बड़े अफसर फरियाद लेकर आने लगे थे. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि याहया खान ने 1969 में मार्शल लॉ लागू कर दिया था. तब पूरा पाकिस्तान सेना के नियंत्रण में था. लिहाजा जनरल रानी उन दिनों ट्रांसफर-पोस्टिंग समेत हर काम में दखल देतीं. पूरे मुल्क में जनरल रानी की तूती बोतली थी.


ऐसे खत्म हुई जिंदगी


लेकिन उनका जलवा 1971 में तब खत्म हो गया जब पाकिस्तान में भुट्टो की सरकार बनी. इसके बाद जनरल रानी को हाउस अरेस्ट कर दिया गया. 1977 में जब पाकिस्तान में फिर से तख्तापलट हुआ तब उन्हें आजादी मिली. इस दौरान वो रुतबा, दौलत और सेहत सब कुछ खो चुकी थीं. कभी पाकिस्तान पर राज करने वाली इस जनरल रानी की जिंदगी के आखिरी साल मुश्किलों से भरे थे. साल 2002 में 70 साल की उम्र में उसकी ब्रेस्ट कैंसर से मौत हो गई.