लाहौर:  पाकिस्तान के निर्माण की बुनियाद में पंजाब और बंगाल की अहम भूमिका रही. पूर्वी बंगाल बना था पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पंजाब के साथ अन्य राज्य मिलकर बने थे पश्चिमी पाकिस्तान. लेकिन हकीकत जो थी, वो ये कि पश्चिमी पाकिस्तान में पंजाबियों का वर्चस्व था. जो आज भी है. शुरुआत में मुहाजिरों की अच्छी खासी आबादी थी, लेकिन अब उनकी आबादी निर्णायक नहीं रह गई है. ये पंजाबी लोग थे, जो मुसलमान थे और पूरे पाकिस्तान के रहनुमा थे. देश के बड़े नेता अधिकतर पंजाब से थे और आज भी ये माना जाता है कि पंजाब के लोग पाकिस्तान के दूसरे राज्यों के लोगों का उत्पीड़न करते हैं, क्योंकि पंजाबियों के पास सत्ता है. लेकिन अब उनकी भाषा की तरफ नजर डाली जाए तो वो पिछड़ी नजर आती है. लेकिन अब लाहौर में पंजाबी बोलने वाले लोग जाग गए हैं और पंजाबी भाषा की पढ़ाई हो, इसके लिए सरकार पर दबाव भी बना रहे हैं. इसी क्रम में इसके लिए पंजाब में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर जोरदार प्रदर्शन किया गया.


प्राथमिक स्तर पर हो पंजाबी भाषा की पढ़ाई


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प्रदर्शन कर रहे संगठनों की मांग है कि पंजाबी भाषा को प्राथमिक स्तर पर अनिवार्य तौर पर पढ़ाया जाए और आगे की पढ़ाई के दौरान अन्य विषयों की पढ़ाई के लिए पंजाबी भाषा को वैकल्पिक माध्यम बनाया जाए. ताकि पंजाबियों की मातृभाषा नष्ट होने से बचाई जा सके. इस रैली को सिविल सोसायटी, राजनीतिक पार्टियों, एनजीओ व अन्य संगठनों ने समर्थन दिया. इस दौरान पीपीपी नेता और सीनेटर ऐतजाज ने पाकिस्तान सरकार पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार पाकिस्तानी मूल के नोबेल पुरस्कार विजेता तक को अपना नहीं बोल सकती, क्योंकि पाकिस्तान पर विदेशी भाषा थोप दी गई है.


हमारे ऊपर विदेशी भाषा थोपी गई: पीपीपी सीनेटर


पाकिस्तान (Pakistan) की शीर्ष राजनीतिक पार्टियों में से एक पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (PPP) के सीनेटर ऐतजाज अहसान ने आरोप लगाया कि पाकिस्तानियों खासकर पंजाबियों के ऊपर एक विदेशी भाषा थोप दी गई. उन्होंने कहा कि पंजाब में पंजाबियों पर उर्दू और अंग्रेजी थोपी गई. हम इसे पंजाबी करने की मांग करते हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी देश स्थानीय बोली-भाषा और समाज के आगे बढ़े बगैर विकास नहीं कर सकता है. 


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विदेशी भाषा की वजह से पिछड़े हैं पंजाबी


डॉन अखबार में छपी खबर के मुताबिक, ऐतजाज ने कहा कि हमारी सरकारों की वजह से हमारे बच्चों को विदेशी भाषा में पढ़ाई करनी पड़ती है, जिसकी वजह से वो अकादमिक क्षेत्र में पिछड़े हैं. उन्होंने कहा कि अकादमिक मामले में पीछे रह जाने की वजह से वो हर क्षेत्र में पीछे रह जाते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे पहले पंजाबी में कोई बात सोचते हैं, फिर उसे उर्दू में अनुवाद करते हैं और आखिर में उन्हें उर्दू से अंग्रेजी में अनुवाद करना पड़ता है. ऐसे में ये सिस्टम बच्चों के लिए बोझ की तरह है. जिसे बदले जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हम कैसे विकास करेंगे, जब हमारी अपनी भाषा को ही हम छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ अब्दुस सलाम तक को पाकिस्तान अपना नहीं कह सकता, क्योंकि उन्होंने उर्दू या पंजाबी भाषा में कोई काम नहीं किया और न ही वो पाकिस्तान में रहे. बता दें कि पाकिस्तान के पंजाब राज्य में 2013 में पंजाबी भाषा को आधिकारिक तौर पर राजभाषा के तौर पर शामिल किया. लेकिन अब भी शिक्षा देने के लिए सरकार कोई नीति नहीं बना पाई है. 


सैकड़ों लोगों ने निकाला जुलूस


अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर पंजाबी भाषा के समर्थन में निकले जुलूस में सैकड़ों लोग शामिल रहे, जिसमें पाकिस्तान पंजाबी अब्दी बोर्ड (पीपीएबी) और पंजाब पढ़ाओ तहरीक के सदस्य भी शामिल रहे. इसके अलावा पंजाब लोग संगत, पंजाबी संगत, पाकिस्तान मजदूर किसान पार्टी, बॉन्डेड लेबर लिबरेशन फ्रंट, आल पाकिस्तान ट्रेड यूनियन फेडरेशन, काकूक-ए-खाक मूवमेंट, प्रोग्रेसिव स्टूडेंट कलेक्टिव, पंजाब टीचर्स यूनियन, पंजाब प्रोफेसर्स एंड लिटरेचन एसो. और अन्य संगठनों के लोग भी शामिल हुए. ये रैली कोर्ट रोड से शुरु हुई और लाहौर प्रेस क्लब होते हुए चेरिंग क्रॉस पर जाकर खत्म हुई. इस दौरान लोगों ने हाथों में कार्ड्स लिए हुए थे और सरकार से असेंबली में पंजाबी भाषा बिल पास करने की मांग कर रहे थे.