Pakistan Economic Crisis: आर्थिक संकट से गुजर रहे पाकिस्तान में हालात बेहद खराब हो गए हैं और पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया है कि उनका देश पहले ही दिवालिया हो चुका है. इस बीच पाकिस्तान के पूर्व जनरल अतहर अब्बास (Athar Abbas) ने अपने ही देश को नसीहत दी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि भारत से बातचीत 'पाकिस्तान की जरूरत' है. पाकिस्तान सशस्त्र बलों की मीडिया शाखा, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के पूर्व महानिदेशक मेजर जनरल अतहर अब्बास (रिटायर्ड) ने कहा कि बातचीत सुरक्षा प्रतिष्ठान के अलावा अन्य स्तरों पर भी हो सकती है.


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बातचीत हमारे देश की जरूरत: अतहर अब्बास


डॉन की खबर के मुताबिक, 14वें कराची साहित्य महोत्सव के अंतिम दिन 'पड़ोसियों के बीच शांति और सुरक्षा की तलाश' शीर्षक से हुई चर्चा के दौरान रिटायर्ड जनरल अतहर अब्बास ने यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा, 'फिलहाल बातचीत हमारे देश की जरूरत है.. आगे बढ़ने का रास्ता सिर्फ राज्य तंत्र नहीं है, क्योंकि अगर आप इसे (पूरी तरह) सुरक्षा प्रतिष्ठान पर छोड़ देते हैं, तो कोई आगे नहीं बढ़ पाएगा. यह आगे बढ़ेगा. एक कदम आगे और दो कदम पीछे ले जाने जैसा हो.'


एक पहल होनी चाहिए: रिटायर्ड जनरल अतहर अब्बास


रिटायर्ड जनरल अतहर अब्बास ने कहा, 'एक पहल होनी चाहिए.. जैसे ट्रैक 2 डिप्लोमेसी, जैसे मीडिया, जैसे व्यापार और व्यापार संगठन, जैसे शिक्षा .. और वे भारतीय समाज के भीतर बातचीत कर सकते हैं और अपनी जगह बना सकते हैं.' उन्होंने कहा, 'यह (भारत) सरकार (और) राज्य के अधिकारियों पर दबाव बनाता है कि उन्हें यह देखना चाहिए कि लोग क्या कह रहे हैं. यह समय की मांग है कि बातचीत पाकिस्तान की जरूरत है.'


पड़ोसी को नहीं बदल सकते: अतहर अब्बास


रिटायर्ड जनरल अतहर अब्बास ने कहा कि अगर प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, तो पाकिस्तान अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे 'बाहरी एक्टर्स' को भी शामिल कर सकता है. यह पूछे जाने पर कि वह कितनी जल्दी पड़ोसियों के साथ कोई बातचीत होते हुए देखते हैं, जनरल अब्बास ने कहा, 'आप अपने पड़ोसी को नहीं बदल सकते. आखिरकार, उन्हें बातचीत की मेज पर आना होगा.. भले ही उन्हें लगता है कि यह एक बड़ी शक्ति है.'


अतहर अब्बास ने भारत को भी किया सावधान


पूर्व डीजी आईएसपीआर और रिटायर्ड जनरल अतहर अब्बास ने इसके साथ ही भारत को भी सावधान किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अस्थिरता है, वह भारत में भी फैल जाएगी और हमें केवल स्थापना की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें दूसरे विकल्पों की ओर भी देखना चाहिए.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी आईएएनएस)