Imran Khan Case: तोशाखाना मामले में अदालत का फैसला आने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि सरकारी खजाने में रखे सारे तोहफों की नीलामी की जाएगी.  ARY न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक,प्रधानमंत्री शरीफ ने कहा कि तोशाखाना तोहफों की नीलामी से जो भी रकम मिलेगी, उसे गरीब और असहाय लोगों की मदद में इस्तेमाल किया जाएगा.


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बयान में शहबाज ने कहा, 'मैं ऐलान करता हूं कि तोशाखाना में लाखों-करोड़ों रुपये के तोहफों को नीलाम किया जाएगा. लेकिन उन्हें बेचकर जो रकम मिलेगी, वह कहीं और नहीं बल्कि अनाथ बच्चों की संस्थाओं, चाहे वे समाजिक संस्थाएं हों या फिर शैक्षणिक या फिर स्वास्थ्य.'


अनाथों को दिया जाएगा पैसा


ARY न्यूज के मुताबिक, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री ने काउंसिल ऑफ पाकिस्तान न्यूजपेपर एडिटर्स (सीपीएनई), ऑल पाकिस्तान न्यूजपेपर्स सोसाइटी (एपीएनएस) के एक डेलिगेशन से बात करते हुए कहा, 'हम उन्हें अनाथों का समर्थन करने के लिए एक सिस्टम के तहत सौंप देंगे जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ हैं.'


उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार को बहुत कठिन आर्थिक परिस्थितियां विरासत में मिली हैं लेकिन गठबंधन दलों को स्थिति की गंभीरता की कल्पना नहीं थी.


एआरवाई न्यूज के अनुसार, तोशाखाना एक विभाग है, जिसे साल 1974 में स्थापित किया गया था. यह कैबिनेट डिवीजन के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत आता है. यह सरकारों, राज्यों के प्रमुखों और विदेशी राष्ट्राध्यक्षों, सांसदों, नौकरशाहों और अधिकारियों को मिले बहुमूल्य तोहफों की देखरेख करता है.


पूर्व पीएम और पीटीआई अध्यक्ष इमरान खान को तोशाखाना क्रिमिनल केस में तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई है. इसके अलावा वह 5 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे.  अदालत का फैसला इन आरोपों पर आधारित है कि खान ने विदेशी गणमान्य लोगों से मिले तोहफों और उनकी कथित बिक्री से मिले पैसे के गलत विवरण घोषित किया. 


इमरान को मिले 14 करोड़ के 58 तोहफे


खान को प्रधानमंत्री के रूप में अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल के दौरान 14 करोड़ रुपये मूल्य से अधिक के 58 तोहफे मिले और उन्होंने उन सभी को बहुत कम राशि का भुगतान कर या बगैर किसी रकम की अदायगी किये अपने पास रख लिया. इनमें हीरा जड़ित एक घड़ी, एक अंगूठी, एक पेन और कई घड़ियां शामिल हैं. कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा, उनकी बेईमानी संदेह से परे साबित हुई है.


इस फैसले के बाद खान को संविधान के तहत कोई भी सार्वजनिक पद पर आसीन होने से पांच साल के लिए अयोग्य घोषित किया गया है. अदालत के फैसले के बाद, खान कोई भी सार्वजनिक पद पांच साल तक ग्रहण करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 63(1)(एच) के तहत तकनीकी रूप से अयोग्य हो गए हैं. हालांकि, उनके पास इस फैसले के खिलाफ अपील देने का अधिकार है.