Nathu La War: भारत-चीन का वो युद्ध जब बुरी तरह पिटा था ड्रैगन, मार दिए गए थे उसके 300 सैनिक

Nathu La Fight: अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के तवांग (Twang) में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है. इस बीच, भारतीय वायुसेना (IAF) आज (15 दिंसबर) से चीन से लगी सीमा पर सैन्याभ्यास (Military Exercise) करेगी. आज हम आपको भारत-चीन के एक ऐसे युद्ध के बारे में बताते हैं जब चीन को मुंह की खानी पड़ी थी. जान लें कि साल 1967 में सिक्किम के नाथुला दर्रा (Nathu La Pass) पर भारत और चीनी सैनिकों के बीच विवाद हुआ था. इस जंग में चीनी सैनिक बुरी तरह से पिटे थे. 1967 के इस युद्ध में चीन के 300 सैनिक मारे गए थे. आइए जानते हैं कि 1967 में नाथुला दर्रा पर भारत-चीन युद्ध की वजह क्या थी?

विनय त्रिवेदी Thu, 15 Dec 2022-10:00 am,
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बता दें कि साल 1967 में भारत ने चीन बॉर्डर पर बाड़ लगाने का फैसला किया था. कंटीले तारों की तीन लेयर की बाड़ लगाने का प्लान था. लेकिन जब भारत ने चीनी सीमा पर बाड़ लगाने का काम शुरू किया तो चीनी आर्मी ने उसपर आपत्ति जताई और रुकावट डाली. 20 अगस्त, 1967 को बाड़ लगाने का काम भारत ने शुरू किया था. तीन दिन बाद 75 चीनी सैनिक नाथुला दर्रा पर आए और नारेबाजी करने लगे.

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बीच में 10-12 दिन तनाव बना रहा. फिर 5 सितंबर को फिर चीन ने बाड़ लगाने पर आपत्ति जताई. इस दौरान चीनी आर्मी अफसर की भारतीय कमांडिंग अफसर से बहस हो गई और काम 2 दिन के लिए रुक गया. इसके बाद 7 सितंबर को करीब 100 चीनी सैनिक सीमा पर आए और भारतीय सैनिकों के साथ हाथापाई. उन्होंने पत्थरबाजी का सहारा भी लिया.

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चीनी सैनिक 11 सितंबर को फिर सीमा पर वापस आए, तो लोकल इन्फैंट्री बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल राय सिंह उनसे बात करने के लिए गए. लेकिन चीनी सैनिकों ने फायरिंग कर दी, जिसमें लेफ्टिनेंट कर्नल राय सिंह घायल हो गए. फिर भारतीय जवानों ने चीनी चौकियों पर हमला किया और जवाबी कार्रवाई चीन का भारी नुकसान कर दिया.

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भारत के रिकॉर्ड्स (Records) के अनुसार, 1967 में नाथुला दर्रा पर हुए इस युद्ध में भारत के 88 सैनिक शहीद हुए, वहीं चीन के 300 सैनिक मारे गए. हालांकि, 12 सितंबर को भारत ने सीमा पर बिना शर्त सीजफायर का प्रस्ताव दिया, लेकिन चीन ने उसे खारिज कर दिया था.

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गौरतलब है कि 1967 के युद्ध में भारी संख्या में सैनिकों के मारे जाने के बाद चीन ने सबक लिया और 15 सितंबर को भारतीय सैनिकों के पार्थिव शरीर भारतीय सेना को सौंप दिए. माना जाता है चीन की असुरक्षा की भावना के कारण नाथुला पर खूनी संघर्ष हुआ, जिसमें ड्रैगन की बुरी तरह पिटाई हुई.

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