फ्रांस से भारत के लिए रफाल ने भरी उड़ान, जानिए अंबाला में ही क्यों किया जाएगा तैनात
भारत ने आक्रामक चीन के साथ ही पाकिस्तान को भी स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर उसने चीन के इशारे पर किसी तरह का दुस्साहस किया तो उस पर पलटवार करने में भारत देर नहीं करेगा.
देवेंद्र कुमार. नई दिल्ली: लद्दाख में चीन (China) से चल रही तनातनी के बीच भारत में अब फ्रांस निर्मित रफाल (Rafale) लड़ाकू विमान वायुसेना में शामिल होने जा रहे हैं. वायुसेना ने इन विमानों की तैनाती के लिए हरियाणा के अंबाला एयरबेस का चयन किया है. ये जगह पाकिस्तान (Pakistan) और चीन की सीमा से 220 से 300 किमी की दूरी पर है. ऐसा करके भारत ने आक्रामक चीन के साथ ही पाकिस्तान को भी स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर उसने चीन के इशारे पर किसी तरह का दुस्साहस किया तो उस पर पलटवार करने में भारत देर नहीं करेगा.
बता दें कि भारतीय वायुसेना के पांच ऑपरेशनल कमांड हैं. इसके साथ ही वायुसेना के एक-एक मेंटेनेंस और एक ट्रेनिंग कमांड भी है. इस कमांड के पास राजस्थान से लेकर जम्मू-कश्मीर तक पाकिस्तान से निपटने का जिम्मा है. साथ ही लद्दाख के इलाके में चीन से दो-दो हाथ करने की जिम्मेदारी भी इसी कमांड के पास है.
पश्चिमी वायुसेना कमांड ने इन दोनों दुश्मनों से निपटने के लिए आदमपुर, अंबाला, चंडीगढ़, हलवारा, हिंडन, लेह, पालम, श्रीनगर और पठानकोट में एयरबेस बना रखे हैं. इन एयरबेस की मदद के लिए अमृतसर, सिरसा और ऊधमपुर में फॉरवर्ड बेस सपोर्ट यूनिट (FBSUs) बनाए गए हैं. अंबाला एयरबेस पर जगुआर विमानों (SEPECAT Jaguar) की स्क्वाड्रन तैनात है. वहीं दुश्मन के हवाई हमले से निपटने के लिए यहां पर एयर डिफेंस सिस्टम के रूप में वायुसेना के मिग-21, 23 और 29 लड़ाकू विमान तैनात रहते हैं.
चीन से निपटने के लिए जब रफाल लड़ाकू विमानों की तैनाती की बात शुरू हुई तो वायुसेना के पास लेह और श्रीनगर एयरबेस जैसे विकल्प मौजूद थे. जहां पर इन्हें तैनात किया जा सकता था. लेकिन काफी सोच-विचार के बाद रफाल के लिए अंबाला एयरबेस को चुना गया. ऐसा करने के पीछे अंबाला की रणनीतिक लोकेशन सबसे महत्वपूर्ण रही. दरअसल, अंबाला शहर पाकिस्तान की सीमा से केवल 220 किलोमीटर दूर है. वहीं तिब्बत की सीमा भी 300 किलोमीटर की दूरी पर है. ऐसे में इस एयरबेस पर रफाल की तैनाती से वायुसेना चीन और पाकिस्तान दोनों को आसानी से काउंटर कर सकती है. अंबाला में वायुसेना रफाल के 18 विमान (एक स्क्वाड्रन) तैनात करने जा रही है. दूसरी स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरबेस पर तैनात की जाएगी.
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चीन की ओर से कोई हिमाकत होने पर अंबाला में तैनात रफाल विमान कुछ ही पलों में उत्तराखंड या हिमाचल प्रदेश के ऊपर से होते हुए तिब्बत में कहर बरपा देंगे. वहीं यदि चीन के इशारे पर पाकिस्तान ने किसी तरह की हिमाकत की कोशिश की तो इस एयरबेस के जरिए तुरंत उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है. पिछले साल फरवरी में पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हमला होने के बाद भारतीय वायुसेना ने अंबाला एयरबेस से ही पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया था.
रणनीति के तहत एयरबेस के विमानों को अपने एयर स्पेस में रहते हुए उत्तर से दक्षिण और दक्षिण से उत्तर की ओर उड़ाया गया. जिसके चलते पाकिस्तान के रडारों को समझ ही नहीं आया कि भारतीय एयरस्पेस में हो क्या रहा है. इसी दौरान ग्वालियर एयरबेस से नीची उड़ान भरते हुए जम्मू पहुंचे मिराज 2000 विमान अचानक बाएं मुड़कर पाकिस्तान में घुसे और बालाकोट इलाके में पहुंचकर आतंकी ठिकाने पर धावा बोल दिया. इस जवाबी हमले में उसके कई आतंकी मारे गए थे. मिशन को अंजाम देकर सभी विमान महज 30 मिनट में सुरक्षित तरीके से अपने एयरबेस पर लैंड कर गए थे.
अब अंबाला एयरबेस पर रफाल विमान की तैनाती पाकिस्तान और चीन दोनों को बहुत तनाव देने जा रही है. वायुसेना अधिकारियों के मुताबिक रफाल विमान चौथी पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ विमानों में से एक है. इसकी 3700 किलोमीटर दूरी तक मारक क्षमता और हवा से हवा, हवा से समुद्र और हवा से जमीन पर मार करने की क्षमता इसे चीन और पाकिस्तान से आगे खड़ा कर देती है. अंबाला एयरबेस पर खतरनाक मिसाइलों के साथ रफाल विमानों की तैनाती देश के लिए एक मजबूत सुरक्षा प्रतिरोधक का काम करेगी. साथ ही दुश्मन का हमला होने की स्थिति में यह देश का भरोसेमंद हथियार भी होगा. जहां से पूर्व और पश्चिम दोनों दिशाओं में हमला किया जा सकेगा. फ्रांस में इस विमान का पहली बार निर्माण 2001 में हुआ. फ्रांसीसी वायुसेना के साथ ही वहां की नेवी भी इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करती है. फ्रांस के बाहर मिस्र, कतर जैसे देश भी इस विमान का इस्तेमाल कर रहे हैं.
उधर रफाल विमानों की आमदगी को देखते हुए अंबाला एयरबेस पर सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई है. जिला प्रशासन ने अंबाला एयर फोर्स स्टेशन को नो ड्रोन जोन घोषित कर दिया है. प्रशासन के आदेश के मुताबिक एयरफोर्स स्टेशन के तीन किलोमीटर के दायरे में अगर कोई भी ड्रोन उड़ता पाया गया तो एयरफोर्स अथॉरिटी उसे नष्ट कर देगी. साथ ही ड्रोन उड़ाने वाले व्यक्ति अथवा एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई करेगी. एयरफोर्स परिसर में बिना इजाजत घुसने पर देखते ही गोली मारने की चेतावनी भी दी गई है.