इस्लामाबाद: पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने देश के ‘कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग’ पड़ जाने के विपक्ष के दावे का खंडन किया है और विदेश नीति के मुद्दों पर दोनों पक्षों (सत्तापक्ष एवं विपक्ष) के बीच सर्वसम्मति बनाने का आह्वान किया है. मंगलवार को मीडिया में ऐसी खबर आयी है. डॉन की खबर है कि विदेश नीति पर सीनेट में बहस का समापन करते हुए कुरैशी ने सोमवार को विपक्षी सदस्यों को विदेश मामलों पर ब्रीफ करने का न्यौता दिया और उनसे इससे जुड़े मुद्दों पर सर्वसम्मति बनाने का आह्वान किया.


विदेश नीति का संबंध देश हित से: कुरैशी


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अन्य देशों के साथ रिश्ते पर अलग अलग राय रखने के विरूद्ध चेताते हुए कुरैशी ने कहा, 'विदेश नीति का संबंध देश के हित से होता है.' अखबार के मुताबिक कुरैशी ने विपक्ष की यह आलोचना खारिज कर दी कि देश कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग पड़ गया है. उन्होंने कहा कि 'भारत की इच्छा और कोशिशों के बावजूद ऐसा नहीं हुआ है.'


सरकार को ‘चुनौतियों, गड्ढों और रुकावटों’ की जानकारी


उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में सफलता का हवाला दिया जहां पाकिस्तान पिछले अक्टूबर में फिर से निर्वाचित हुआ. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद का जिक्र किया जिसका पाकिस्तान (Pakistan) फिलहाल अध्यक्ष है. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल अफ्रीका के साथ पाकिस्तान का व्यापार सात फीसद बढ़ा है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को ‘चुनौतियों, गड्ढों और रुकावटों’ की जानकारी है और उसके पास इनसे पार पाकर आगे बढ़ने की योजना भी है.


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नये बाइडन प्रशासन के साथ हमारी राय बहुत मिलती है: कुरैशी


विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि अफगान संघर्ष के विभिन्न पहलुओं पर नये बाइडन प्रशासन के साथ हमारी राय बहुत मिलती है, खासकर सैनिकों की वापसी एवं हिंसा में कमी के सिलसिले में. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान का सबंध सुधरा है और काबुल शांति प्रक्रिया में पाकिस्तान के सहयोग को मानने लगा है. भारत के बारे में कुरैशी का कहना था कि सरकार उसके साथ सामान्य संबंध के लिए इच्छुक है लेकिन दूसरे पक्ष से उत्साह नहीं दिखाये जाने के कारण बात आगे नहीं बढ़ सकी. विदेश मंत्री ने कहा कि सदाबहार मित्र चीन के साथ पाकिस्तान का संबंध और गहरा होता जा रहा है.