क्या छिड़ने वाला है परमाणु युद्ध? जानें क्यों चीन 300 फीसदी बढ़ाना चाहता है न्यूक्लियर हथियार
दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और चीन के बीच तनातनी बढ़ रही है जिसके बाद एक्सपर्ट्स चीन को अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाने की सलाह दे रहे हैं.
नई दिल्ली: दुनियाभर में खलनायक बन चुका चीन (China) कोरोना वायरस (Coronavirus) के बाद अब दुनिया को भीषण परमाणु युद्ध (Nuclear War) की मुसीबत में डालने की तैयारी कर रहा है. अमेरिका (America) और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में तनाव बढ़ रहा है. भीषण हथियारों के साथ दोनों देश कई बार आमने-सामने आ चुके हैं. ऐसे में चीन में विशेषज्ञ अब परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ाने की राय दे रहे हैं. चीन के इस रुख के बाद इस बात की आशंका जताई जाने लगी है कि क्या ड्रैगन की वजह से दुनिया में भीषण परमाणु युद्ध होने वाला है.
कोरोना काल में अमेरिका और चीन के बीच चल रही बहस एक तरफ है. लेकिन जिस तरह से दक्षिण चीन सागर में दबदबे की लड़ाई के बीच इस क्षेत्र में चीन और अमेरिका घातक हथियारों का जखीरा इकट्ठा कर रहे हैं और चीन ने अमेरिका के परमाणु ताकत के मुकाबले की तैयारी शुरू कर दी है ऐसे में दुनिया को डर सता रहा है कि कहीं उस महायुद्ध की शुरूआत तो नहीं होने वाली जो मानवता के लिए सबसे बड़ा श्राप साबित होगा.
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अब हम आपको बताते हैं कि आखिरकार क्यों अमेरिका और चीन के बीच परमाणु यद्ध की आशंका जाहिर की जा रही है. इस आशंका के पीछे है चीन की ताकत बढ़ाने की सनक, अपनी सीमाओं के विस्तार की चाहत और दुनिया में दबदबा बनाने की हसरत. इसी वजह से कोरोना काल में भी चीन को एटम बमो के जखीरे को बढ़ाने की सनक सवार हो रही है.
दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और चीन के बीच तनातनी बढ़ रही है जिसके बाद एक्सपर्ट्स चीन को अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाने की सलाह दे रहे हैं. चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू शिजिन के मुताबिक अमेरिका का मुकाबला करने के लिए चीन को परमाणु हथियार बढ़ाने होंगे. चीन को अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाकर 1000 करनी होगी. अमेरिका के पास चीन के मुकाबले परमाणु अस्त्रों का बड़ा जखीरा मौजूद है.
आपको बता दें कि ड्रैगन अपने न्यूक्लियर हथियार भंडार में तीन गुना बढ़ोतरी करने का मंसूबा बना रहा है ताकि वो अमेरिका को और कड़ी टक्कर दे सके. चीन में प्रेस को आजादी नहीं मिली है ऐसे में सरकारी मीडिया जो कुछ कहता है उसे चीन की सरकार की जुबान ही समझा जाता है. लेकिन सवाल उठता है कि चीन के इस बयान के पीछे असली वजह क्या है.
दरअसल, चीन के निशाने पर सीधे-सीधे अमेरिका है. यानी चीन अमेरिका को दुनिया के सुपरपावर के तख्त से हटा कर खुद वहां बैठना चाहता है. इसके लिए चीन न सिर्फ आर्थिक बल्कि सामरिक मोर्चे पर भी चक्रव्यूह तैयार कर रहा है.
दुनिया भर में न्यूक्लियर हथियारों को लेकर रिसर्च करने वाली संस्था सिपरी के मुताबिक चीन के पास 290 न्यूक्लियर हथियार हैं. जबकि अमेरिका के पास 6185 न्यूक्लियर हथियारों का जखीरा है.
यानी अमेरिका परमाणु क्षमता के लिहाज से चीन पर भारी है. अमेरिकी फौज, चीन के मुकाबले 20 गुना से भी ज्यादा न्यूक्लियर हथियारों की ताकत से लैस है. ये फर्क बहुत बड़ा है और ये बात चीन को चुभ रही है. इसलिए चीन अब अमेरिका को फौजी चुनौती देने के लिए अपनी न्यूक्लियर पावर को तीन गुना बढ़ाने की तैयारी कर रहा है.
चीन ने अपने न्यूक्लियर हथियारों में 300 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी का इरादा जता कर साफ कर दिया है कि वो अमेरिका को अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती मानता है. अगर चीन वाकई अपने इस परमाणु प्लान पर अमल करता है तो दुनिया में एक बार फिर से विनाशकारी हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है.
ब्यूरो रिपोर्ट