पुतिन के भारत दौरे से उड़ी चीन-पाकिस्तान की नींद! जानिए क्या है वजह
Vladimir Putin India Visit: व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा कई मायनों में अहम रहा. इस दौरान भारत और रूस के बीच 28 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. पुतिन के भारत दौरे की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है.
नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) कल (सोमवार को) करीब 6 घंटे तक भारत में रहे. इस दौरान पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात हुई. कई अहम समझौते भी हुए. लेकिन इस मुलाकात ने कई देशों की नींद उड़ा दी है. पुतिन की इस भारत यात्रा के क्या मायने हैं और क्यों इस मुलाकात की चर्चा हो रही है इस खबर में जानिए.
पुतिन के भारत दौरे से सरहद पार टेंशन
बीती शाम दिल्ली का हैदराबाद हाउस ऐतिहासिक मुलाकात का गवाह बना. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरें ना सिर्फ सोशल मीडिया (Social Media) में वायरल हुईं बल्कि इन तस्वीरों ने सरहदों को पार कर कई मुल्कों को संदेश भी दिया. दुनिया बदल गई लेकिन भारत और रूस की दोस्ती (Friendship Of India And Russia) नहीं बदली.
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पुतिन ने भारत की तारीफ में क्या कहा?
इस दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत को एक बहुत बड़ी शक्ति बताया. उन्होंने आतंकवाद और संगठित अपराध पर साझा चिंता जताई. पुतिन ने अफगानिस्तान में घटनाक्रमों को लेकर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि भारत और रूस क्षेत्र में सामने आ रही बड़ी चुनौतियों पर कोऑर्डिनेशन जारी रखेंगे.
अफगानिस्तान समेत कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी व्लादिमीर पुतिन की दोस्ती का गर्मजोशी से जवाब दिया. पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया बदल गई लेकिन हमारी दोस्ती नहीं बदली. भारत और रूस के संबंधों में बदलाव नहीं हुआ है. अफगानिस्तान और कई वैश्विक मुद्दों पर हम संपर्क में रहे हैं.
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दुनिया के दो बड़े नेताओं की मुलाकात की अहिमयत आप इसी बात से समझ सकते हैं कि सोमवार को भारत और रूस के बीच 28 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. इससे पहले भारत और रूस के बीच टू प्लस टू वार्ता हुई. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर की रूसी समकक्षों के साथ मुलाकात हुई. इस मुलाकात में अहम क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई.
पुतिन के 6 घंटे के भारत दौरे से दुनिया को बड़ा संदेश मिला है. इस बात पर सहमति बनी कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल ISIS, अल कायदा और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों को पनाह, ट्रेनिंग और फंडिंग के लिए नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही आतंकी संगठनों के खिलाफ एक्शन, क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म से मिलकर लड़ने पर भी सहमति बनी. ऐसे में पाकिस्तान और उसे शह देने वाले चीन का परेशान होना स्वाभाविक है.
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