वो 10 मस्जिदें जिनके मंदिर होने का किया जा रहा दावा, 6 UP से, जानिए क्या है मुकदमों का स्टेटस

Masjid Pending Cases: सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर को देश भर की सिविल अदालतों को किसी भी धार्मिक स्थल के स्वामित्व और शीर्षक को चुनौती देने वाले नए मुकदमे दर्ज करने मना कर दिया है. साथ ही अगले आदेश तक विवादित धार्मिक स्थलों के सर्वे का आदेश देने से भी रोक दिया. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी निर्देश दिया कि लंबित मुकदमों में अदालतें सुनवाई की अगली तारीख तक सर्वे के आदेश समेत कोई भी प्रभावी अंतरिम आदेश या अंतिम आदेश नहीं दिए जाएंगे. इस खबर में हम आपको 10 ऐसे मंदिर-मस्जिद विवाद बताने जा रहे हैं जो अभी-भी लंबित पड़े हुए हैं.

ताहिर कामरान Dec 14, 2024, 10:11 AM IST
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ज्ञानवापी मस्जिद, वाराणसी

उत्तर प्रदेश के वाराणसी का ज्ञानवापी मामला 1991 में दायर किया गया था. इसको लेकर दावा किया गया था कि मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर की जगह पर बनाई गई थी. 2021 में पांच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी सिविल कोर्ट में एक मुकदमा दाखिल कर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर कथित रूप से मौजूद धार्मिक मूर्तियों की पूजा करने की अनुमति मांगी. 

ज्ञानवापी मामले का स्टेटस: इस केस के स्टेस की बात करें तो जिला और सेशन जज, वाराणसी की अदालत ने ASI सर्वे का आदेश दिया और 2023 में भक्तों की तरफ से दाखिल मुकदमे की स्थिरता को बरकरार रखा. जनवरी 2024 में अदालत ने ज्ञानवापी परिसर के तहखाने में पूजा की इजाजत देने के लिए उचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया.

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शाही ईदगाह मस्जिद, मथुरा

उत्तर प्रदेश के मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग से जुड़ा मामला 2020 में दर्ज किया गया था. दावा किया गया है कि यह भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर बनाया गया था.

क्या है स्टेटस: मई 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सभी पेंडिंग मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया. हाई कोर्ट ने अगस्त 2024 में मुकदमों की स्थिरता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया. मस्जिद कमेटी ने तब से इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है

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टीले वाली मस्जिद, लखनऊ

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की टीले वाले मस्जिद का मामला 2013 में भगवान शेषनागेश्वर टीलेश्वर महादेव विराजमान के आठ भक्तों ने दाखिल किया था. जिसमें लखनऊ के लक्ष्मण टीला में मौजूद टीले वाली मस्जिद का सर्वे करने की मांग की गई थी. उनका दावा था कि मुगल शासक औरंगजेब ने इस जगह पर एक हिंदू मंदिर को तोड़कर इस मस्जिद का निर्माण किया गया था.

क्या है स्टेटस: इस केस की स्टेटस की बात करें तो मुकदमे की स्थिरता का मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पेंडिंग है. मस्जिद परिसर के अंदर श्रद्धालुओं को नमाज अदा करने की इजाजत देने के लिए निषेधाज्ञा मांगने वाला एक अन्य मुकदमा लखनऊ में एक सिविल जज के सामने पेंडिंग है.

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शाही जामा मस्जिद, संभल

उत्तर प्रदेश के संभल में मौजूद इस मस्जिद को लेकर अधिवक्ता हरि शंकर जैन समेत 8 याचिकाकर्ताओं ने 19 नवंबर को एक मुकदमा दायर किया. याचिका में दावा किया गया कि जामा मस्जिद भगवान कल्कि को समर्पित 'श्री हरि हर मंदिर' के अवशेषों पर बनाई गई थी. उन्होंने आगे कहा कि प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत जनता को इसे देखने का अधिकार है.

क्या है स्टेटस: केस दर्ज होने के कुछ ही घंटों के अंदर संभल के एक सिविल जज (वरिष्ठ डिवीजन) ने एक सर्वे का आदेश दिया, जिससे संभल में हिंसा भड़क उठी. 29 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत को आदेश दिया कि जब तक सर्वे आदेश को चुनौती देने वाला मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने सूचीबद्ध नहीं हो जाता, तब तक वह मुकदमे को आगे न बढ़ाए.

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दरगाह शरीफ अजमेर, राजस्थान

सितंबर 2024 में हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता के ज़रिए एक सिविल मुकदमा दाखिल किया गया था. उन्होंने मुकदमे में दावा किया था कि अजमेर शरीफ दरगाह स्थल पर भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर होने के सबूत हैं.

क्या है मुकदमे का स्टेटस: यह मुकदमे में अजमेर पश्चिम के एक सिविल जज ने 27 नवंबर को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, एएसआई और अजमेर दरगाह समेति को इस संबंध में नोटिस जारी किया था. 

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शम्सी जामा मस्जिद, बदायूं

उत्तर प्रदेश के बदायूं की शम्सी जामा मस्जिद को लेकर अखिल भारत हिंदू महासभा के ज़रिए 2022 में एक मुकदमा दाखिल किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि मूल रूप से इस जगह पर नीलकंठ महादेव का मंदिर था. याचिकाकर्ता इस जगह पर पूजा-अर्चना करने की अनुमति मांग रहे हैं.

क्या है स्टेटस: बदायूं मस्जिद के सर्वे की मांग करते हुए एक आवेदन दाखिल किया गया है. बदायूं की एक फास्ट-ट्रैक अदालत इस समय मुकदमे की सुनवाई कर रही है.

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अटाला मस्जिद, जौनपुर

उत्तर प्रदेश के जौनपुर की अटाला मस्जिद को लेकर स्वराज वाहिनी एसोसिएशन ने मई 2024 में एक मुकदमा दाखिल किया था. दाखिल की गई याचिका में मांग की गई थी कि इस जगह पर मूल रूप से अटला देवी को समर्पित एक प्राचीन मंदिर था. इसके अलावा यह भी मांग की गई थी कि संपत्ति का कब्ज़ा और गैर-हिंदुओं को इस जगह पर दाखिल होने से रोकने का आदेश दिया जाए.

क्या है स्टेटस: अटाला मस्जिद के स्टेटस की बात करें तो सर्वे का आदेश दे दिया गया है और जौनपुर जिला कोर्ट को 16 दिसंबर को सर्वे प्राधिकरण को सुरक्षा प्रदान करने की याचिका पर सुनवाई करनी थी. मुकदमे के रजिस्ट्रेशन को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी.

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कमल मौला मस्जिद, भोजशाला- धार

मध्य प्रदेश की कमल मौला मस्जिद को लेकर हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने 2022 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल थी, जिसमें 2003 के ASI के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें मुसलमानों को शुक्रवार को भोजशाला परिसर के अंदर नमाज अदा करने की इजाजत दी गई थी.

क्या है स्टेस: स्टेटस की बात करें तो मार्च 2024 में हाई कोर्ट ने परिसर का 'वैज्ञानिक सर्वे' करने का आदेश दिया. अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि परिसर के चरित्र को बदलने वाली कोई भी खुदाई नहीं होनी चाहिए. ASI ने जुलाई में अपनी रिपोर्ट पेश की और कहा कि परिसर का निर्माण 'पहले के मंदिरों के कुछ हिस्सों' का इस्तेमाल करके किया गया था.

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कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद, कुतुब मीनार- दिल्ली

कुतुब मीनार परिसर में मौजूद कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद को लेकर 2020 हिंदू और जैन देवताओं की पुनर्स्थापना की मांग करते हुए भगवान विष्णु की तरफ से एक मुकदमा दायर किया गया था. जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद के निर्माण के लिए 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तबाह कर दिया गया था.

क्या है स्टेटस: इस केस के स्टेटस की बात करें तो दिल्ली के एक सिविल जज ने 2021 में मुकदमे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधानों का उल्लंघन है. हालांकि इस आदेश को चुनौती दी गई और अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के सामने पेंडिंग है.

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मलाली जामा मस्जिद मंगलौर, कर्नाटक

मंगलौर की मलाली जामा मस्जिद को लेकर विश्व हिंदू परिषद की तरफ से 2022 में एक केस दाखिल किया गया था. याचिका में दावा किया गया था कि मस्जिद के जीर्णोद्धार के दौरान उसके नीचे एक मंदिर जैसी संरचना पाई गई थी, साथ ही परिसर का सर्वे करने का अनुरोध किया गया था.

क्या है स्टेटस: इस केस को लेकर 31 जनवरी 2024 को कर्नाटक हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया कि वह पहले मुकदमों की स्थिरता पर निर्णय ले.

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