महंगाई घटने से खाने की थाली हुई सस्ती, जानिए क्या है वेज-नॉनवेज थाली का रेट?
बीते महीने खुदरा महंगाई में नरमी की वजह से खाने की थाली सस्ती हुई है. क्रिसिल एमआई एंड ए रिसर्च ने बताया है कि अगस्त में शाकाहारी और मांसाहारी थालियों की कीमतों में पिछले साल और पिछले महीने की तुलना में तेज गिरावट देखी गई है.
thali price in India
आम लोगों के लिए एक राहत की खबर आई है. सालाना आधार पर घर में बनी शाकाहारी थाली की कीमत में 8 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं, मांसाहारी थालियों में 12 प्रतिशत की और भी अधिक गिरावट देखी गई. साल-दर-साल शाकाहारी थाली की कीमत में कमी की मुख्य वजह टमाटर की कीमतों में 51 प्रतिशत तक की गिरावट है. अगस्त में शाकाहारी थाली की कीमत में टमाटर की हिस्सेदारी 14 फीसदी थी.
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दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों से ताजा आवक के कारण टमाटर की कीमतें अगस्त 2023 में 102 रुपये प्रति किलोग्राम से गिरकर अगस्त 2024 में 50 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं. क्रिसिल ने अपनी मासिक ‘रोटी चावल दर’ रिपोर्ट में कहा कि अगस्त में टमाटर की कीमतें घटकर 50 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गईं. यह जुलाई के मुकाबले 23 प्रतिशत और एक साल पहले के मुकाबले 51 प्रतिशत की गिरावट है. थाली की कीमत कम होने की एक और वजह एलपीजी की कीमतों में 27 प्रतिशत की गिरावट है.
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शाकाहारी थाली में रोटी, सब्जियां (प्याज, टमाटर और आलू), चावल, दाल, दही और सलाद शामिल हैं, जबकि मांसाहारी थाली में दाल की जगह ब्रॉयलर मुर्गे की कीमतें शामिल हैं. लेकिन श्रावण माह में ब्रॉयलर की कीमतों में मासिक आधार पर तीन प्रतिशत और सालाना आधार पर 13 प्रतिशत गिरावट आई. इससे पिछले साल की तुलना में मांसाहारी थाली की कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गई. इसके अलावा इस साल की शुरुआत में रसोई गैस की कीमतों में कमी आने से ईंधन की लागत में 27 प्रतिशत की गिरावट आई है.
शाकाहारी थाली में रोटी, सब्जियां (प्याज, टमाटर और आलू), चावल, दाल, दही और सलाद शामिल हैं, जबकि मांसाहारी थाली में दाल की जगह ब्रॉयलर मुर्गे की कीमतें शामिल हैं. लेकिन श्रावण माह में ब्रॉयलर की कीमतों में मासिक आधार पर तीन प्रतिशत और सालाना आधार पर 13 प्रतिशत गिरावट आई. इससे पिछले साल की तुलना में मांसाहारी थाली की कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गई. इसके अलावा इस साल की शुरुआत में रसोई गैस की कीमतों में कमी आने से ईंधन की लागत में 27 प्रतिशत की गिरावट आई है.
इसके अलावा वनस्पति तेल, मिर्च और जीरे की कीमतों में नरमी ने भी पिछले साल की तुलना में भोजन की लागत को कम किया है. क्रिसिल ने कहा कि अगस्त में भोजन की कीमतों में अधिक गिरावट आती, लेकिन प्याज की कीमतों में 15 रुपये प्रति किलोग्राम और आलू की कीमतों में सालाना आधार पर 13 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी से ऐसा नहीं हो पाया.