अकबर की मां पढ़ती थी रामायण, 1594 की कॉपी दोहा म्‍यूजियम में मिली; कौन थीं हमीदा बानू बेगम?

मुगल बादशाह अकबर की पत्नी हमीदा बानू बेगम की रामायण दोहा के इस्लामिक म्यूजियम में मौजूद है. 1594 में निर्मित, यह मनु लिपि रामायण का फारसी वर्जन है. अकबर के आदेश पर वाल्मिकी रामायण का फारसी में अनुवाद किया गया था, उनकी अपनी प्रति को जयपुर पांडुलिपि के रूप में जाना जाता है.

चेतन शर्मा Thu, 15 Feb 2024-12:58 pm,
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रामायण में 56 फोटो

हमीदा बानू सम्राट हूमायूं की दूसरी पत्नी थीं. उनकी रामायण की प्रति मूल रूप से 56 बड़े फोटो के साथ 450 से ज्यादा फोलियो से बनी थी. यह पाठ की पहली पंक्तियों के साथ एक रोशन रोसेट और नाजुक सोने की मूर्तियों और फूलों के साथ खुलता है. इसकी शुरुआत होती है एक जगमगाते गुलाब के आकार की बारीक गोल्डन मूर्तियों और फूलों की नक्काशी की गई है. इसके शुरूआती शब्द भी इसी के साथ लिखे हुए हैं.

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कई बार किया गया रिस्टोर

हमीदा बानू की इस संपत्ति को 1604 में केंद्रीय मुगल पुस्तकालय में ट्रांसफर कर दिया गया, और फिर यह मालिक के पास चली गई. इसमें पानी और अंदर से कुछ नुकसान हुआ है. इसे कई बार रिस्टोर किया गया है. पांडुलिपि के बाहरी किनारों को काट दिया गया है और कुछ पत्ते गायब हैं. 1990 के दशक तक लगभग अज्ञात, यह रामायण मुगल-प्रायोजित संस्कृत ग्रंथों के इतिहास में एक मील का पत्थर है.

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कैसे थी मुगलों को इसमें रूचि

'दोहा रामायण' 16वीं सदी के उत्तर भारत की भाषा, कला और साहित्य की एक झलक है. इससे पता चलता है कि कैसे मुगलों को रामायण और शासन करने के दैवीय अधिकार की धारणाओं में विशेष रुचि थी. हमीदा बानू की इसमें विशेष रुचि उल्लेखनीय है. और कहा जाता है कि वह दिखाए गए धैर्य और कठिनाई से संबंधित है.

 

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हमीदा बानू कौन थीं?

हमीदा बानू बेगम का जन्म 1527 में हुआ था. हमीदा बानू बेगम मुगल बादशाह हुमायूं की प्रमुख पत्नी थीं. कहा जाता है कि हमीदा बानू बेगम हिन्दाल के गुरु की बेटी थी और एक सिया खानदान से ताल्लुक रखती थीं. 

 

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कौन थे माता पिता

उनके पिता का नाम शेख अली अकबर जामी था और उनकी मां का नाम फिरोज बेगम था. बता दें कि हमीदा बानू के पिता मुगल राजकुमार हिन्दाल मिर्जा के उपदेशक थे.

 

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मिली थी मरियम मकानी की उपाधि

मुगल साम्राज्य में कई महिलाएं ऐसी रही हैं, जिन्हें कई तरह की उपाधि मिलीं, मरियम मकानी, मरियम-उज-जमानी आदि. इन महिलाओं में हमीदा बानू बेगम भी शामिल हैं क्योंकि इन्हें मरियम मकानी की उपाधि मिली थी. इस उपाधि को बादशाह अकबर ने अपनी मां हमीदा बानू बेगम को दिया था.

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