कैसे समुद्री केबल्स के सहारे चलता है इंटरनेट? पूरी दुनिया में समंदर के अंदर बिछा है डेटा केबल्स का जाल

Data Cables Network Under Sea: समुद्र के तल में बिछी हुईं केबल्स के जरिए इंटरनेट चलता है. पूरी दुनिया में समुद्र में बहुत नीचे ये मोटी-मोटी केबल्स बिछे हुए हैं. ये डेटा केबल्स इतनी ज्यादा होती हैं कि इन्हें समुद्र के विशालकाय जीव, जैसे शार्क आदि भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती हैं.

आरती आज़ाद Sun, 19 May 2024-11:00 am,
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Data Cables Network Under Sea:

समुद्र के तल में बिछी हुईं केबल्स के जरिए इंटरनेट चलता है. पूरी दुनिया में समुद्र में बहुत नीचे ये मोटी-मोटी केबल्स बिछे हुए हैं. ये डेटा केबल्स इतनी ज्यादा होती हैं कि इन्हें समुद्र के विशालकाय जीव, जैसे शार्क आदि भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती हैं. 

 

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कैसे चलता है समुद्री केबल्स से इंटरनेट?

आपने शायद ही कभी इस बारे में सोचा होगा कि पूरी दुनिया में इंटरनेट कैसे काम करता है या हो सकता है कि आप लोगों में से कुछ लोग इस बारे में जानते भी होंगे, लेकिन आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि कैसे समुद्री केबल्स के सहारे इंटरनेट चलता है? 

 

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सबमरीन कम्यूनिकेशन

पूरे विश्व में इंटरनेट का जाल है, आज के समय में बड़े से बड़ा डेटा इन समुद्री केबल्स के सहारे ट्रांसफर किया जाता है. इसे सबमरीन कम्यूनिकेशन कहा जाता है. इंटरनेट भी ऐसे ही केबल्स के सहारे काम करता है. इन केबल्स को लगाने के लिए स्पेशल केबल-लेयर नावों इस्तेमाल में लाई जाती है. जो समंदर की सपाट सतहों पर चलती हैं. फिर हाई प्रेशर हाई प्रेशर वॉटर जेट तकनीक के जरिए उथली गहराई पर केबल्स को समुद्र तल के नीचे दबाया जाता है.

 

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समुद्री केबल्स बेहतर विकल्प

इन केबल्स के जरिए ही गूगल, फेसबकु और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां भी डेटा ट्रांसफर करती हैं. सैटेलाइट के मुकाबले समुद्री केबल्स डेटा को ट्रांसफर करने के लिए बेहतर ऑप्शन माना जाता है. 

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सबमरीन कम्यूनिकेशन की मरम्मत

इसके अलावा समुद्री केबल्स का सबसे बड़ा फायदा है कि ये बहुत किफायती और इसका नेटवर्क फास्ट होता है. वहीं, सैटेलाइट कम्यूनिकेशन मुश्किल होता है. हालांकि, इन्हें लगाना जितना फजीहत वाला काम है, उतना ही मुश्किल है डैमेज्ड सबमरीन कम्यूनिकेशन की मरम्मत करना. इन केबल्स को पकड़ने और सतह तक खींचने के लिए उथले पानी में रोबोट का उपयोग करके स्पेशल शिप भेजे जाते हैं.

 

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एक्टिव केबल्स

रिपोर्ट के मुताबिक एक दिन में 100 से 200 किमी तक ही केबल्स बिछाई जा सकती है. जब नए केबल सर्विस में आते हैं. पुराने केबल डिएक्टिवेट कर दिए जाते हैं. इस तरह एक्टिव केबल्स की संख्या लगातार चेंज होती रहती है.

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एवरेस्ट की ऊंचाई जितनी गहराई

रिपोर्ट के मुताबिक माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई जितनी गहराई तक ये डेटा केबल्स समंदर के अंदर दबी हैं. इन केबल्स को इतनी गहराई तक समुद्र की सतह के नीचे दबाया जाता है, ताकि उन्हें किसी तरह का कोई नुकसान न पहुंचे.

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सबसे पहली समुद्री केबल

हालांकि, इतनी सावधानी बरतने के बाद भी ये डेटा केबल्स शार्क के निशाने पर होती हैं, इसलिए अब शार्क प्रूफ वायर रैपर लगाए जाने लगे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक एक केबल लगभग 25 साल तक सर्विस देती है. इनमें किसी तरह की खराब आने पर रोबोट इनकी मरम्मत करते हैं. बताया जाता है कि दुनिया की सबसे पहली बार 164 साल पहले समुद्र के अंदर केबल बिछाई गई थी. 

 

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