शनिवार को हनुमानजी के सामने केजरीवाल की पेशी, क्या मांगा होगा; कब खबर लेंगे बजरंगबली?
Hanuman Temple, CP Delhi: दिल्ली के कनॉट प्लेस में एक ऐसा अनोखा हनुमान मंदिर है, जिसे देखने के लिए एक दिन अकबर आ पहुंचे थे. यहां मंगल और शनिवार को बाबा के भक्तों का तांता लगा रहता है. शनिवार को इसी मंदिर में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal in CP Hanuman mandir) अपने तमाम साथियों के साथ पहुंचे. एक बार भारत दौरे पर पूर्व राष्ट्रपति ओबामा इस प्राचीन हनुमान मंदिर में आए थे. आज आम आदमी पार्टी की पूरी दिल्ली की यूनिट यहीं बजरंगबली की शरण में दिख रही थी.
मंदिर में आप
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शनिवार को कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर पहुंचे. उनके साथ पत्नी सुनीता केजरीवाल, पार्टी के तमाम नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे. पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह समेत अन्य आप नेताओं ने भी बाबा के दरबार में माथा टेका.
विधिवत पूजा
केजरीवाल के साथ समर्थकों का हुजूम था. सब एक साथ कनॉट प्लेस स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में बजरंगबली के दर्शन-पूजन करने पहुंचे. मंदिर पहुंचकर केजरीवाल ने पत्नी के साथ विधिवत रूप से बजरंगबली और शिवजी की पूजा की.
रोते रोते आते हैं... हंसते हंसते जाते हैं...
मंदिर के पुजारी ने उन्हें एक गदा देकर चुन्नी उड़ाई. शराब नीति केस में जमानत मिलने के बाद मनीष सिसोदिया और संजय सिंह ने भी इसी हनुमान मंदिर में बजरंगबली की पूजा की थी.
बाबा बड़े दयालु हैं
अंतरिम जमानत के बाद 2 जून को सरेंडर करने से पहले भी केजरीवाल ने इसी मंदिर में बजरंगबली के दर्शन किए थे.
बाबा की कृपा
बीते शुक्रवार शाम को जेल से छूटने के बाद अरविंद केजरीवाल का आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ढोल नगाड़ों और आतिशबाजी के साथ स्वागत किया था.
यह मंदिर केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी प्रसिद्ध है. नोएडा से इस मंदिर पहुंचने के लिए आपको ब्लू लाईन और गुड़गांव से येलो लाइन के राजीव चौक मेट्रो स्टेशन उतरना होगा. स्टेशन से मंदिर की दूरी पैदल भी पूरी की जा सकती है. आप चाहे तो यहां से मंदिर के लिए ई रिक्शा भी ले सकते हैं.
महाभारत कालीन मंदिर
इस मंदिर को प्राचीन मंदिर यू हीं नहीं कहा जाता. इस मंदिर के तार महाभारत काल से जुड़े हुए हैं. माना जाता है पांडवों ने महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद इस मंदिर की स्थापना की थी. आज मंदिर का जो स्वरूप देखने को मिलता है, उसका निर्माण आंबेर के महाराजा मानसिंह प्रथम ने मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में करवाया था.