UPSC Success Story: पापा थे बस कंडक्टर, बेटी पहले बनी सर्जन और फिर IAS
IAS Renu Raj Success Story: डॉक्टर बनना और यूपीएससी की परीक्षा पास करना, दोनों ही भारत में बहुत सम्मानजनक करियर ऑप्शन हैं. इनमें से किसी को एक रास्ता चुनना भी कमाल की बात है, लेकिन कुछ चुनिंदा लोग ही अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन से दोनों में सफलता प्राप्त कर पाते हैं.
रेनू राज की कहानी
ऐसी ही एक इंस्पायरिंग स्टोरी है पूर्व सर्जन रेनू राज की है, जिन्होंने आईएएस अधिकारी बनने के लिए अपना मेडिकल करियर को छोड़ दिया.
पापा करते थे बस कंडक्टर की नौकरी
रेनू का जन्म केरल के कोट्टायम में हुआ था. उनके पिताजी सरकारी नौकरी करते थे और साथ ही बस कंडक्टर का काम भी करते थे. रेनू की पढ़ाई चांगनास्सेरी के सेंट टेरेसा हायर सेकेंडरी स्कूल में हुई. इसके बाद उन्होंने कोट्टायम के सरकारी मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर की डिग्री हासिल की.
ऐसे लिया फैसला
सर्जन का काम करते हुए भी रेनू ने अपना एक और सपना पूरा करने का फैसला किया. उन्होंने IAS अफसर बनने की तैयारी शुरू कर दी. रेनू ने पहली ही कोशिश में न सिर्फ ये मुश्किल परीक्षा पास कर ली बल्कि पूरे भारत में दूसरी रैंक भी हासिल कर ली. वो भी बिना किसी कोचिंग के.
क्यों छोड़ी डॉक्टरी
एक बार ये बताते हुए कि उन्होंने डॉक्टरी क्यों छोड़ी, रेनू ने कहा था, "एक डॉक्टर के तौर पर मैं 50-100 मरीजों की ही मदद कर सकती थी. लेकिन एक अफसर के तौर पर, एक फैसला हजारों लोगों की ज़िंदगी बदल सकता है."
किससे की शादी
आईएएस के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, वह मुन्नार में अनधिकृत निर्माण और भूमि अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए प्रसिद्ध हैं. उन्होंने एक आईएएस श्रीराम वेंकटरमण से शादी की है.
2014 में की थी शादी
श्रीराम की ये पहली शादी है, लेकिन रेनू की शादी पहले डॉक्टर भगत एल.एस. से हो चुकी थी, जो एक हेल्थकेयर प्रोफेशनल हैं. साल 2012 में श्रीराम आईएएस ऑफिसर बने और रेनू ने साल 2014 में श्रीराम से शादी की.
अनगिनत कैंडिडेट्स के लिए मोटिवेशन
इस तरह, फुल टाइम जॉब में बैलेंस बनाते हुए और देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक को पास करते हुए, रेनू की सफलता की कहानी अनगिनत कैंडिडेट्स को मोटिवेट करती है.