आंख खोलकर देख लो देश के दुश्मनों...जरा भी बदमाशी की तो `अग्नि` जलाकर भस्म कर देगी
Agni Prime Missile Test: भारत के आसपास दो देश ऐसे हैं, जो हर वक्त भारत के खिलाफ चाल चलने में कोई कसर नहीं छोड़ते. लेकिन भारत भी पीछे नहीं है. अब भारत भी लगातार अपना पावरबैंक बढ़ा रहा है. बाहरी देशों से तो भारत अत्याधुनिक हथियार खरीद ही रहा है बल्कि स्वदेशी मिसाइलें बनाकर खुद को और मजबूत कर रहा है. भारत ने ओडिशा में एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल `अग्नि-प्राइम` का सफल परीक्षण किया.
भारत ने अग्नि प्राइम मिसाइल का परीक्षण बुधवार शाम किया. सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने डीआरडीओ के साथ मिलकर 1,000 से 2,000 किमी की मारक क्षमता वाली मिसाइल का उड़ान परीक्षण किया.
एक बयान के मुताबिक, तीन अप्रैल को शाम करीब सात बजे ओडिशा में एपीजी अब्दुल कलाम द्वीप से नयी पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-प्राइम का सफल परीक्षण किया. मिसाइल के विश्वसनीय प्रदर्शन के साथ परीक्षण के सभी मकसद हासिल कर लिए गए जिसकी पुष्टि टर्मिनल पॉइंट पर स्थित दो डाउनरेंज जहाजों सहित विभिन्न स्थानों पर तैनात कई रेंज सेंसर की ओर से दर्ज किए गए डाटा से हुई है.
पिछले महीने, भारत ने अपने मिशन दिव्यास्त्र के तहत मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) के साथ देश में विकसित अग्नि-पांच मिसाइल का पहला सफल परीक्षण किया था. टेस्ट को अंजाम देकर भारत ऐसी क्षमता रखने वाले चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया. एमआईआरवी सुविधा से एक ही मिसाइल कई स्थानों पर कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है. अग्नि-पांच मिसाइल की मारक क्षमता 5,000 किमी तक है. मिसाइल की जद चीन के उत्तरी भाग समेत लगभग पूरे एशिया और साथ ही यूरोप के कुछ क्षेत्रों तक है.
वहीं, अग्नि-1 से अग्नि-4 श्रेणी की मिसाइलों की मारक क्षमता 700 किमी से 3,500 किमी तक है और इन्हें पहले ही तैनात किया जा चुका है. पिछले साल जून में भारत ने अग्नि प्राइम का रात के दौरान सफल परीक्षण किया था. भारत ने पिछले साल अप्रैल में, अपने महत्वाकांक्षी बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम के तहत बंगाल की खाड़ी में ओडिशा में एक जहाज से 'एंडो-ऐटमौसफेयरिक इंटरसेप्टर मिसाइल' का पहला सफल टेस्ट किया था.
समुद्र में मिसाइल के परीक्षण का मकसद बैलिस्टिक मिसाइल के खतरे से मुकाबला करना था. इस परीक्षण के बाद भारत ऐसी क्षमता रखने वाले देशों के खास ग्रुप में शामिल हो गया. भारत धरती की वायुमंडलीय सीमा के अंदर और बाहर किसी शत्रु की तरफ से आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने की काबिलियत तैयार कर रहा है.