भारत में रूस की बनी ट्रेनें भरेंगी रफ्तार, लेकिन यहां फंस गया पेच! क्यों अधर में लटका `वंदे भारत स्लीपर` प्रोजेक्ट?
Vande Bharat Sleeper Sleeper: अगर सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही देश की रेल पटरियों पर रूस की बनी ट्रेनें रफ्तार भरेंगी. रूसी ट्रेन बनाने वाली कंपनी जल्द ही भारतीय रेलवे के लिए बोगी बनाएगी. अगले साल से महाराष्ट्र के लातूर में इसके मैन्युफैक्चरिंग की उम्मीद है.
'सब कुछ ठीक' इसलिए लिखा है क्योंकि रूसी कंपनी के साथ वंदे भारत स्लीपर बनाने का एग्रीमेंट हुआ है. लेकिन देश में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए जोर-शोर के बीच वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों का प्रोडक्शन अधर में लटक गया है क्योंकि इंडो-रूसी कंसोर्टियम और भारतीय रेल के बीच ज्वाइंट वेंचर (JV) एग्रीमेंट साइन होने के 14 महीने बाद भी डिजाइन को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है.
इस ज्वाइंट वेंचर का नेतृत्व रूसी कंपनी TMH कर रही है. यही कंपनी 1920 वंदे भारत स्लीपर कोचों का निर्माण करेगी. TMH ने कहा है कि भारतीय रेलवे द्वारा लगातार डिजाइन में बदलाव किया जा रहा है जिससे डिजाइन को फाइनल करने में देरी हो रही है. इन बदलावों में प्रत्येक कोच में अतिरिक्त शौचालय, सामान रखने के लिए जगह और एक पैंट्री कार शामिल हैं. जिससे डिजाइनिंग की प्रक्रिया जटिल और लंबी होती जा रही है.
TMH के CEO किरिल लिपा ने निर्णय लेने में देरी और प्रोजेक्ट की टाइमलाइन लगातार आगे बढ़ते जाने पर नाराजगी व्यक्त की है. लिपा ने कहा है कि अगर भारतीय रेलवे इस प्रक्रिया को और टालेगा तो प्रोडक्शन की समय सीमा पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा. हम उत्पादन शुरू करने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन हम महीनों से सिर्फ लेटर भेजने और स्पष्टीकरण का इंतजार करने में लगे हैं."
लिपा का मानना है कि बचे हुए मामले तुरंत ही हल किए जा सकते हैं और सभी मामलों को कुछ घंटों में निपटाया जा सकता है, लेकिन फिर भी इन मुद्दों को सुलझाया नहीं गया है.
Vande Bharat Sleeper Sleeper Project
दोनों देशों की कंपनी के बीच हुआ यह एग्रीमेंट लगभग 55 हजार करोड़ रुपये का है. सितंबर 2023 में इस एग्रीमेंट पर साइन किया गया था. यह एग्रीमेंट TMH और रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के बीच हुआ था. यह एग्रीमेंट भारत की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है, जिसके तहत रेलवे नेटवर्क को तेज और अधिक आधुनिक ट्रेनों से बदलने की योजना है. वंदे भारत स्लीपर कोच इस आधुनिकीकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.
Vande Bharat Sleeper Sleeper Project
लिपा ने आगे कहा कि यह मुद्दा पिछले हफ्ते दिल्ली में हुई India-Russia Inter-Governmental Commission for Trade, Economic, Scientific, and Cultural Cooperation बैठक में उठाया गया था, जिसकी अध्यक्षता भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की थी. उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारत सरकार डिजाइन विवादों को सुलझाने की कोशिश करेगी, जिससे इस प्रोजेक्ट पर आगे का काम किया जा सकेगा.
लिपा ने कहा, "हम रूसी सरकार का दबाव नहीं चाहते हैं, लेकिन हमें भारतीय रेलवे से स्पष्ट स्पष्टीकरण की जरूरत है. मुझे उम्मीद है कि भारतीय नेताओं की मदद से हम इसका समाधान जरूर निकालेंगे और आगे इस पर काम करेंगे."
Vande Bharat Sleeper Sleeper Project
शुरुआत में दोनों कंपनियों ने 2024 के अंत तक पहला प्रोटोटाइप पेश करने की उम्मीद की थी. लेकिन भारतीय रेलवे ने डिजाइन में बदलाव की मांग की, जिससे TMH को अपनी प्रोजेक्ट में बदलाव करना पड़ा. TMH के सीईओ लिपा का मानना है कि अब यह प्रोटोटाइप 2025 की दूसरी तिमाही तक तैयार हो सकता है और एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार अंतिम डिलीवरी 2025 के अंत तक पूरी हो जाएगी.
कहां आ रही हैं दिक्कतें?
इस प्रोजेक्ट की डिजाइनिंग में आ रही दिक्कतों में सबसे प्रमुख शौचालयों की बढ़ी हुई संख्या है. शुरू में प्रत्येक कोच में तीन शौचालयों की व्यवस्था की योजना थी, लेकिन डिजाइन में बदलाव के बाद प्रत्येक कोच में चार शौचालयों के साथ-साथ सामान रखने के लिए भी जगह की व्यवस्था है. जबकि एग्रीमेंट में इसका जिक्र नहीं था. इसके अलावा प्रत्येक ट्रेन में एक पैंट्री कार की बाद में जोड़ी गई है. जिससे ट्रेन के ले-आउट में बदलाव करना पड़ा है.
लिपा ने कहा कि ये बदलाव सिर्फ बाहरी नहीं है. ये बदलाव पूरे कोच के डिजाइन को प्रभावित करते हैं. उदाहरण के लिए, एक अतिरिक्त शौचालय जोड़ना आसान नहीं है. इसके लिए कोच की इंजीनियरिंग ड्राइंग में एडजस्टमेंट की जरूरत होती है.
इसके अलावा हर ट्रेन में पेंट्री कार की जरूरत भी एक चुनौती है. क्योंकि यह सिर्फ एक कोच जोड़ने के बराबर नहीं है. इसमें खाना पकाने, बिजली, हीटिंग और वाटर सिस्टम के लिए जटिल इंस्टॉलेशन शामिल हैं, जो भारतीय रेलवे के सुरक्षा मानकों, विशेष रूप से अग्नि सुरक्षा प्रावधानों के अनुरूप होनी चाहिए.