रहस्य-रोमांच से भरी है सद्गुरु जग्गी वासुदेव की जिंदगी, पत्नी-बेटी भी रहीं आध्यात्मिक मार्ग की साथी
Sadhguru Birthday: मशहूर आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन के फाउंडर सद्गुरू यानी जगदीश वासुदेव का आज जन्मदिन है. ध्यान और योग के जरिए चेतना को विकसित करने में जुटे सद्गुरु के फॉलोअर्स पूरी दुनिया में हैं. आज सद्गुरु जग्गी वासुदेव के बर्थडेट पर उनके अब तक के जीवन, परिवार, पत्नी-बेटी आदि से जुड़ी प्रमुख बातें जानें.
Sadhguru Age: 3 सितंबर 1957 को मैसूर (मैसूर राज्य, जो अब कर्नाटक है) में जन्मे जगदीश वासुदेव यानी जग्गी वासुदेव की उम्र आज 67 साल हो गई है. जग्गी वासदेव का जन्म एक तेलगू परिवार में हुआ. उनके पिता का नाम बीवी वासुदेव और माता का नाम सुशीला वासुदेव था. उनके पिता मैसूरु रेलवे अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ थे और उनकी मां एक हाउसवाइफ थीं. जग्गी 5 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे.
सद्गुरु की योग शिक्षा
सद्गुरु के नाम से दुनिया भर में मशहूर जग्गी वासुदेव ने अंग्रेजी साहित्य की पढ़ाई की है और फिर एक बिजनेस से अपने करियर की शुरुआत की. जग्गी का बचपन से प्रकृति से खासा लगाव था. कम उम्र में ही वह जंगलों में रहने के आदी हो गए थे. जब वह घर लौटते थे तो अपने साथ झोली में कई सांप लेकर आते थे. जग्गी वासुदेव को सांप पकड़ने में महारथ हासिल थी. 11 साल से ही वह योग से जुड़ गए थे. यहां से शुरू हुआ योग और ध्यान का सफर आज भी अनवरत जारी है.
सद्गुरु की पत्नी
साल 1984 में जग्गी वासुदेव ने विजिकुमारी से शादी की. 1990 में उनकी बेटी पैदा हुई. जिसका नाम उन्होंने राधे रखा. सद्गुरु की पत्नी विज्जी की मृत्यु को लेकर कहा जाता है कि उन्होंने अपनी मर्जी से महज 33 साल की उम्र में प्राण त्याग दिए थे. वे भी अपने पति की तरह आध्यात्म की राह पर चल रही थीं.
सद्गुरु की बेटी
सद्गुरु की बेटी राधे बचपन से ही उनके साथ हर पल साथ रहीं. राधे को लेकर सद्गुरु ने कई लंबी-लंबी यात्राएं कीं. बेटी राधे ने चेन्नई के कलाक्षेत्र फाउंडेशन में भरतनाट्यम की ट्रेनिंग ली है. बाद में राधे ने 2014 में भारतीय शास्त्रीय गायक संदीप नारायण से शादी की.
ईशा फाउंडेशन की स्थापना
25 साल की उम्र में जग्गी वासुदेव ने अपना बिजनेस छोड़कर खुद को पूरी तरह से अध्यात्म की ओर मोड़ लिया था. उन्होंने आध्यात्मिक अनुभव लेने के लिए खूब यात्राएं कीं. लोगों को योग सिखाया. जब उनके फॉलोअर्स बढ़ते गए तो साल 1992 में उन्होंने ईशा फाउंडेशन की स्थापना की.
ईशा योग केंद्र
उन्होंने तमिलनाडु के कोयंबटूर में ईशा योग केंद्र बनाया. समय के साथ इसका दायरा विस्तृत होने लगा और अब करोड़ों की तादाद में लोग इस योग केंद्र से जुड़ चुके हैं. हर साल महाशिवरात्रि पर होने वाले महाआयोजन में भाग लेने के लिए दुनिया भर से लोग ईशा योग केंद्र पहुंचते हैं.
पद्मविभूषण से सम्मानित
समय के साथ सद्गुरू के रूप में विख्यात हुए जग्गी वासुदेव को उनके कामों के लिए कई बार नवाजा गया. साल 2008 में उन्हें इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार मिला और साल 2017 में उन्हें आध्यात्म के लिए पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया.
सद्गुगुरु की ब्रेन सर्जरी
इसी साल मार्च में सद्गुरु की तबियत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में एडमिट किया गया. जांच में पता चला कि उनके मस्तिष्क में सूजन बढ़ गई थी, जिससे उनकी ब्रेन सर्जरी करनी पड़ी. कुछ दिन बाद सद्गुरु ठीक होकर डिस्चार्ज हुए. आज सद्गुरु के करोड़ों फॉलोअर्स उनका जन्मदिन मना रहे हैं.