`मामा` तो पिछड़ रहे थे! 5 कारण जिसकी वजह से लगातार चौथी बार खिला `कमल`
अगर रुझानों को ही अंतिम आंकड़ों में तब्दील कर दिया जाए तो मध्य प्रदेश में बीजेपी बंपर जीत दर्ज कर चुकी है. करीब दो तिहाई सीटों पर बीजेपी का कब्जा हो चुका है. इस दफा के चुनाव की खासियत यह रही है कि बीजेपी ने किसी चेहरे को सीएम पद के घोषित नहीं किया था. इन रुझानों से साफ है कि एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान का जादू मतदाताओं के सिर चढ़कर बोला है.
मध्य प्रदेश में बीजेपी का सुनामी
मध्य प्रदेश के रुझानों से साफ है कि बीजेपी की सुनामी को रोक पाना कांग्रेस के लिए मुमकिन नहीं है. करीब करीब दो तिहाई बहुमत के साथ बीजेपी सरकार बनाने जा रही है. खास बात यह थी कि बीजेपी की तरफ से सीएम का चेहरा इस दफा घोषित नहीं था. लेकिन रुझानों से साफ है कि मामा यानी शिवराज सिंह का जादू सिर चढ़ कर बोला है.
महिलाओं ने पलट दी बाजी
मध्य प्रदेश में जब मतदान के आंकड़े सामने आए तो कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि अब तो तस्वीर साफ है कि नतीजा किसके पक्ष में आने वाला है. हालांकि बीजेपी के नेता कहा करते थे कि कांग्रेस के लोग भूल गए कि महिलाओं ने दिल खोल कर मतदान किया है. महिलाओं को घरों से निकलना ही इस बात की तरफ इशारा कर रहा है कि नतीजे किसके पक्ष में आने वाले हैं.
शिवराज सिंह का जादू चल गया
शिवराज सिंह चौहान को भले ही सीएम चेहरे के तौर पर बीजेपी ने पेश नहीं किया था. लेकिन चुनाव से ऐन पहले पीएम मोदी ने एक खत में लिखा कि शिवराज सिंह ने जिस तरह योजनाओं को जमीन पर उतारा उसका नतीजा साफ नजर आ रहा है.मध्य प्रदेश में नारा भी लगता था कि मामा का काम और पीएम मोदी की स्वच्छ तस्वीर इतिहास रचने जा रही है.
चुनावी मैदान में थे बीजेपी के कई दिग्गज
मध्य प्रदेश के चुनाव में बीजेपी ने अलग प्रयोग किया. केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई चेहरों को उतारने के साथ साथ सांसदों को भी मौका दिया. केंद्रीय नेतृत्व ने इसके जरिए संदेश देने की कोशिश की बीजेपी के लिए चुनाव जीतना ही मिशन नहीं है बल्कि जनता की बेहतरी के लिए किसी भी शख्स के लिए पद मायने नहीं रखता. और यह प्रयोग काम करता हुआ नजर भी आ रहा है.
पीएम मोदी की अपील कर गई काम
इन सबसे इतर जब पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद कमान संभाली तो बीजेपी की राह और आसान हो गई. चुनावी रुझानों से साफ है कि प्रदेश की जनता पीएम मोदी के चेहरे पर कितना यकीन करती है. पीएम मोदी अपनी सभाओं में कहा करते थे कि समाज के कमजोर तबकों की भलाई उनके लिए अहम है. उनकी हर एक कोशिश वंचितों को मुख्य धारा में जोड़ने की होती है.
कांग्रेस के नकारात्मक कैंपेन का असर
अगर रुझानों को देखें तो कांग्रेस 100 सीटों के नीचे है. 2018 के चुनाव की तुलना में उसे करीब 26 सीटों का नुकसान हो रहा है. इन रुझानों से साफ है कि पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला, शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ नकारात्मक बातें जनता को पसंद नहीं आई और मतदाताओं ने सकारात्मक चुनाव प्रचार को गंभीरता से लिया.