पिता की मौत के बाद निकाला था UPSC का एग्जाम, अब बन गए दुनिया के नंबर-1 बैडमिंटन प्लेयर
भारत के पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास यथिराज मंगलवार को दुनिया के नंबर-1 खिलाड़ी बन गए. उन्होंने नवीनतम बीडब्ल्यूएफ पैरा बैडमिंटन विश्व रैंकिंग में फ्रांसीसी दिग्गज लुकास मजूर को पछाड़ दिया. दिव्यांग खिलाड़ी सुहास यथिराज आईएएस अधिकारी भी हैं और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जिलाधिकारी की भूमिका निभा चुके हैं. हम उनकी कहानी आपको यहां बता रहे हैं...
ओलंपिक में जीता था सिल्वर मेडल
40 वर्षीय सुहास अर्जुन पुरस्कार विजेता हैं. उन्होंने टोक्यो पैरालिंपिक खेलों में एसएल-4 वर्ग में सिल्वर मेडल जीता था, लेकिन फाइनल मुकाबले में मजूर से हार गए थे. सुहास अब 60,527 अंकों के साथ अपने फ्रांसीसी प्रतिद्वंद्वी (58953 अंक) को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष पर पहुंच गए हैं.
सुहास ने दी खुशखबरी
सुहास ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर लिखा, ''आखिरकार, विश्व नंबर-1! यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पुरुष एकल वर्ग के लिए आज घोषित बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन पैरा बैडमिंटन रैंकिंग में मुझे विश्व नंबर 1 की रैंकिंग मिली है. पहली बार जीवन में फ्रांस के लंबे समय से चले आ रहे विश्व नंबर 1 लुकास मजूर को पीछे छोड़ा. आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.''
पैरा बैडमिंटन में एसएल-4 श्रेणी के प्लेयर हैं सुहास
उत्तर प्रदेश कैडर के एक आईएएस अधिकारी सुहास ने इस साल फरवरी में इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को हराकर विश्व चैम्पियनशिप का खिताब जीता था. पैरा बैडमिंटन में एसएल-4 श्रेणी उन खिलाड़ियों के लिए है, जिनके शरीर के एक तरफ निचले स्तर पर या दोनों पैरों में या एक अंग की मामूली कमी के कारण गति प्रभावित होती है. वे पूरे कोर्ट पर खड़े होकर खेलते हैं और उनकी कोर्ट मूवमेंट और शॉट्स की रेंज अच्छी होती है.
पहले आईएएस नहीं बनना चाहते थे सुहास
फरवरी 2023 में अपनी नियुक्ति के बाद से सुहास उत्तर प्रदेश सरकार के युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल के सचिव और महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं. कर्नाटक के शिवमोग्गा में जन्मे सुहास ने अपनी दिव्यांगता (पैर में समस्या) के बावजूद अपनी किस्मत खुद लिखी है. सुहास शुरुआत से ही IAS बनने के इच्छुक नहीं थे.
पिता के निधन के बाद लिया बड़ा फैसला
सुहास का जन्म और शुरुआती पढ़ाई एक गांव में हुई. उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी से कंप्यूटर साइंस में पूरी की. 2005 में उनके पिता का निधन हो गया, जिससे सुहास टूट गए. इस दुखद घटना के बाद सुहास ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया. उन्होंने ठान लिया कि वे अब सिविल सेवा में शामिल होंगे. उन्होंने अपनी नौकरी और बाकी सब कुछ छोड़ दिया और UPSC की तैयारी शुरू कर दी. इसमें उन्हें सफलता मिली और आज वह एक आईएएस अधिकारी हैं.