Vidya Jain Murder Case: 50 साल पहले अफेयर में मर्डर का वो मामला, जब राष्ट्रपति के डॉक्टर पर चला हत्या का केस

Contract Killing Of Mrs Vidya Jain: करीब 50 साल पहले 1973 की सर्दियों में दिल्ली के विद्या जैन मर्डर केस ने लोगों को झकझोर कर रख दिया था. ये हत्याकाण्ड कोई मामूली घटना नहीं थी. विद्या जैन मशहूर आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर नरेंद्र सिंह की पत्नी थीं. जिन्हे 16 बार चाकू से गोदा गया था. डॉक्टर नरेंद्र तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति वीवी गिरि के पर्सनल आई सर्जन थे. इस मामले को कॉन्ट्रैक्ट किलिंग से जुड़ा पहला ज्ञात हाई-प्रोफाइल मामला माना जाता है. ये केस भारतीय न्याय व्यवस्था के इतिहास का लैंडमार्क केस माना जाता है, इसकी वजह क्या है? आइये बताते हैं.

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पहला ज्ञात कॉन्ट्रैक्ट किलिंग केस!

50 साल पहले यानी दिसंबर 1973 में दिल्ली की सर्द रातों में उस वक्त विद्या जैन हत्याकांड की चर्चाएं काफी तेज थी. इस हाई प्रोफाइल मर्डर में हुई हैवानियत ने लोगों को हिलाकर रख दिया था. कत्ल की ये कहानी बेहद जटिल होने के साथ-साथ उतार चढ़ाव से भी भरी थी. दरअसल 4 दिसंबर 1973 को डॉक्टर नरेंद्र सिंह जैन, चांदनी चौक स्थित अपनी क्लिनिक बंद करने के बाद डिफेंस कॉलोनी स्थित घर पहुंचते हैं. वो कुछ देर वहां रुकते हैं. डॉक्टर नरेंद्र पत्नी विद्या से कहते हैं, 'चलो, दीदी के यहां घूम कर आते हैं'. वो वहीं करीब में रहती थीं. 

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दिसंबर 1973 की उस रात को क्या हुआ था?

शाम करीब सवा सात बजे डॉक्टर नरेंद्र, अपनी पत्नी के साथ घर से बाहर निकलते हैं. बाहर अंधेरा था. दोनों कार की तरफ बढ़ते हैं. डॉक्टर जैन ड्राइविंग वाली साइड की तरफ से बैठते हैं और पत्नी को दूसरी तरफ से बैठने को कहते हैं. लेकिन जैसे ही डॉक्टर साहब ड्राइविंग सीट पर पहुंचते हैं, तो देखते हैं कि पत्नी वहां नहीं है. उन्हें बगल के नाले से कुछ आवाज सुनाई देती है. वो गाड़ी से बाहर निकलकर नाले की तरफ बढ़ते हैं. नाले में उन्हें एक धुंधली सी आकृति मुंह के बल लेटी हुई दिखाई देती है.

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डॉक्टर ने पुलिस को बताया घटनाक्रम

डॉक्टर नरेंद्र मदद के लिए चिल्लाते हैं. उनकी आवाज सुनकर घर में मौजूद मेहमान और कुछ नौकर भागकर बाहर आते हैं. आगे डॉक्टर ने पुलिस को मौका ए वारदात का आंखों देखा हाल बताते हुए कहा, 'मैं आवाज सुनकर उधर गया. अचानक नाले से एक आदमी कूदकर बाहर आया. मैंने उसे रोका, तभी सामने से एक शख्स ने पिस्टल दिखाकर धमकाया और वो भाग गए. तभी विद्या की कराहने की आवाज सुनी जो नाले से आ रही थी. मैंने नौकर कुंदन और गंगा सिंह के साथ मिलकर उसे गाड़ी में बिठाया. बहुत खून बह रहा था. पत्नी को दोस्त के क्लिनिक ले गया तब तक विद्या की मौत हो चुकी थी.'

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ये जानिए कि आज इस केस के बारे में आपको क्यों बता रहे हैं?

ये उस दौर में हुई किसी हत्या का सबसे खौफनाक मामला था. जो कॉन्ट्रैक्ट किलिंग से जुड़ा था. इसे उस दौर का पहला ज्ञात कॉन्ट्रैक्ट किलिंग केस कहा गया था. दरअसल डॉक्टर की पत्नी विद्या जैन को 16 बार चाकू से गोदा गया था. पुलिस अनजान लोगों के खिलाफ मर्डर की FIR दर्ज कर जांच शुरू कर देती है. तब डॉक्टर ने कहा जिन दो लोगों को उन्होंने भागते हुए देखा, उन्होंने ही विद्या की हत्या की है. लेकिन पुलिस के लिए कौन से भी बड़ा सवाल था क्यों? ये हाई प्रोफाइल मामला था, क्योंकि डॉक्टर नरेंद्र जैन देश के सबसे मशहूर आंखों के डॉक्टर और सर्जन थे. इसके अलावा उनकी एक खास पहचान ये थी कि वो तत्कालीन राष्ट्रपति वी वी गिरी के पर्सनल आई सर्जन थे. ऐसे में रसूखदार डॉक्टर की पत्नी की डिफेंस कॉलोनी जैसे पॉश और सुरक्षित इलाके में हुई हत्या से लोग हैरान रह गए थे.

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सेकेट्री से प्रेम संबंधों में बहा रिश्तों का खून

डॉक्टर नरेंद्र सिंह जैन की पत्नी की हत्या की जांच में पुलिस को पता चला कि डॉक्टर जैन की किसी से दुश्मनी नहीं थी. विद्या जैन के जेवर सही सलामत थे, इसलिए लूट वाला एंगल भी खारिज हो गया था. पुलिस का माथा तब इसलिए ठनका कि हमले में डॉक्टर जैन को कोई चोट क्यों नहीं लगी? पुलिस ने नौकर-चाकर और विद्या के परिजनों से पूछताछ की. तब चंद्रेश शर्मा का नाम सामने या. चंद्रेश कभी डॉक्टर जैन की सेक्रेटरी हुआ करती थीं लेकिन फिर बाद में उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था.

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शादी और तलाक

चंद्रेश शर्मा की पहली शादी 1960 में हुई थी, पति की मौत हुई तो उसने 1964 में एक आर्मी अफसर से शादी की. 1967 में तलाक के बाद वो उसी दौरान डॉक्टर जैन की सेक्रेटरी बन गई. देखते-देखते अफेयर हुआ. जैन की पत्नी विद्या को भनक लगी तो बवाल मचा. चंद्रेश को नौकरी से निकलवा दिया गया. हालांकि अफेयर जारी रहा. चंद्रेश अम्बाला चली गई लेकिन डॉक्टर जैन उन्हें चोरी छिपे पैसे भेजते रहे. डॉक्टर जैन चंद्रेश से शादी करना चाहते थे लेकिन इसके लिए उनकी वर्तमान शादी आड़े आ रही थी. तब चंद्रेश और डॉक्टर जैन ने तय किया कि विद्या को रास्ते से हटाना होगा.

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दोस्त की मदद से मर्डर

पुरानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चंद्रेश ने अपने दिल्ली के एक दोस्त राकेश कौशिक को बताया कि वो डॉक्टर की पत्नी को रास्ते से हटाना चाहती है. राकेश मान गया. उसने पास में रहने वाले करण सिंह नाम के शख्स को 20 हजार में कत्ल की सुपारी दी. 10 हजार काम से पहले और 10 हजार काम के बाद. करण सिंह तैयार हो गया और 10 हजार ले लिए. अगले तीन महीने तक राकेश उससे पूछता रहा कि काम कब होगा लेकिन करण सिंह टालता रहा. फिर राकेश ने हरियाणा के चरखी दादरी निवासी को दिल्ली बुलाया. वो काम के लालच में आया लेकिन राकेश ने उसे धमकाया कि अगर उसने डॉक्टर की बीबी को नहीं मारा तो उसे मार दिया जाएगा.

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आखिरकार हो गया खुलासा

इसके बाद कई दिनों तक राकेश और राम प्रकाश विद्या जैन का पीछा किया. राकेश, कल्याण से मिला और उसे प्लान में शामिल किया. कल्याण ने अपने दोस्त भागीरथ को बुलाया. भागीरथ ने दो और लोगों उजागर और करतार सिंह को राजी किया. आगे कत्ल होता है. उजागर सिंह और करतार सिंह पकड़े जाते हैं. गवाहों के बयान को आधार बनाकर डॉक्टर जैन, चंद्रेश, राकेश, करतार और उगाजर को दोषी माना जाता है. चंद्रेश, डॉक्टर जैन और राकेश को उम्र कैद की सजा सुनाई गई. वहीं करतार और उजागर को सजा-ए-मौत दी गई. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो वहां भी हाई कोर्ट का फैसला बरक़रार रहा.

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