Democracy Vs Dictatorship: वो चुने तो लोकतांत्रिक ढंग से गए हैं लेकिन क्या वाकई ऐसा है?
दुनियाभर में कई ऐसे नेता हैं, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत चुनाव जीतकर राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बने हों. लेकिन उनकी कार्यशैली कुछ ऐसी है कि उनके अपने देश में उनकी जीत के दावों पर सवाल उठते आए हैं. अक्सर ऐसे नेताओं को `तानाशाह` या वन मैन आर्मी कहा जाता है. ऐसे नेताओं को उनके राजनीतिक मूल्यों पर भी घेरा जाता है. हाल ही में बांग्लादेश में खत्म हुए चुनाव हों या रूस, बेलारूस, तुर्किए और हंगरी के चुनावी नतीजे. इन सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों की जीत को दुनिया शक की निगाह से ही देखती है.
इस तस्वीर में तीन नेता हैं. रूस, ईरान और तुर्की इन तीनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों पर इन्हीं के देश की जनता लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगा चुकी है. अमेरिका और पश्चिमी देशों यानी यूरोप के कई देशों की मानवाधिकार संस्थाएं और एनजीओ इन तीनों देशों में घटने वाली घटनाओं को लेकर अक्सर इन नेताओं की कार्यशैली पर सवाल उठाकर उन्हें घेरती रहती हैं. ईरान में हिजाब विवाद ले लेकर तुर्किए और रूस में ऐसे कई मामले हैं जिनकी वैश्विक चर्चा हो चुकी है.
बांग्लादेश में शेख हसीना की पार्टी ने लगातार चौथी बार आम चुनावों में जीत हासिल की है. विपक्षी दल के नेता शेख हसीना की पार्टी की इस जीत को नकली जीत बता रहे हैं. बांग्लादेश में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को 298 में से 223 सीटें मिली हैं. बाकी शेष 75 सीटों में से 61 में निर्दलीय और 14 में अन्य दलों को जीत मिली है. इस चुनाव में हिंसा और अनियमितताएं भी हुईं. विपक्ष ने चुनाव का बहिष्कार किया था. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन ने बांग्लादेश चुनाव में हिंसा और अनियमितताओं की खबरों पर चिंता जताई है. ऐसे में उनकी जीत सही मायने में लोकतांत्रिक है, ये कहना मुश्किल है.
रूस के राष्ट्रपति पुतिन लंबे समय से रूस की सत्ता पर काबिज है. उनके विरोधी दलों का कहना है कि उन्होंने विपक्ष को निष्क्रिय कर दिया है. लोकतांत्रिक मूल्यों पर चोट पहुंचाई है. रूस में पुतिन के विरोधियों को जेलों में डाला जा रहा है. ऐसे कई नाम है जो कभी पुतिन के करीबी थे लेकिन आज उनके आलोचक और धुर विरोधी हैं.
बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर आज से पहले तब चर्चा में थे जब उन्होंने रूस में तख्तापलट की संभावना को तब खत्म करा दिया था जब वैगनर ग्रुप के मुखिया प्रिगोजि, पुतिन को बेदखल करने की कसम खाते हुए मॉस्को कूच किए थे. लुकाशेंको ने समझौता कराकर विवाद खत्म करा दिया था. वो पहली बार 1994 में देश के राष्ट्रपति चुने गए थे और तब से लगातार उनकी जीत हो रही है. अलेक्जेंडर लुकाशेंको करीब 28 वर्षों से लगातार बेलारूस के राष्ट्रपति हैं. लुकाशेंको 2020 में लगातार छठवीं बार बेलारूस के राष्ट्रपति बने. उनके विरोधियों का कहना है कि विपक्ष की आवाज को दबा दिया जाता है. पुतिन से इन्हें बेहिसाब रुपया-पैसा, रसद/राशन और घातक हथियार मिल जाते रहते हैं. ऐसे में उनसे सवाल पूछने वाला कोई नहीं है.
तुर्किए के राजा एर्देऑन भी लंबे समय से देश की सत्ता पर काबिज हैं. अपनी पार्टी पर भी उनका अच्छा खासा कंट्रोल है. वो भी अपने फैसलों की वजह से तानाशाह के रूप में बदनाम हैं. उनके देश में उन्हें विपक्ष की आवाज की अनसुनी करने वाला नेता माना जाता है.
हंगरी के राष्ट्रपति विक्टर ओरबान 2010 से देश के प्रधानमंत्री हैं. उनका टेन्योर विवादों में रहा है. उनकी गिनती भी कथित रूप से चुने गए लोकतांत्रिक नेताओं में होती है.