चुनाव से पहले तीसरा मोर्चा बनाने निकले केसीआर, बीजेपी या कांग्रेस, किसे पहुंचाएंगे फायदा!
अब महागठबंधन की राह में तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर सबसे बड़ा रोड़ा बनकर सामने आ रहे हैं. वह गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी ताकतों को इकट्ठा करने की कोशिशों में जुट गए हैं.
नई दिल्ली/हैदराबाद : आम चुनाव नजदीक आते ही एनडीए जहां अपना किला बचाने की कोशिश में है. वहीं यूपीए महागठबंधन की दिशा में आगे बढ़ रही है. बिहार जैसे राज्यों में उसे कामयाबी मिल रही है, तो यूपी में पेंच फंसा हुआ है. लेकिन अब महागठबंधन की राह में तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर सबसे बड़ा रोड़ा बनकर सामने आ रहे हैं. वह गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी ताकतों को इकट्ठा करने की कोशिशों में जुट गए हैं.
इसके लिए वह ओडिशा और पश्चिम बंगाल की यात्रा पर निकल चुके हैं. वह चाहते हैं कि देश में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा तीसरा गठबंधन आकार ले. उनकी निगाहें ओडिशा में बीजेडी और बंगाल में ममता बनर्जी को साथ लाने की हैं. इसके अलावा वह यूपी में सपा और बसपा को भी इसका हिस्सा बनाना चाहते हैं. ऐसे में संभव है कि दिल्ली में उन्हें केजरीवाल का भी साथ मिल जाए.
केसीआर रविवार को भुवनेश्वर पहुंचे यहां पर उन्होंने ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक से मुलाकात की. यहां उन्होंने कहा, देश में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा एक सशक्त राजनीतिक विकल्प की जरूरत महसूस की जा रही है. क्षेत्रीय दल इसे पूरा कर सकते हैं. हमने इस दिशा में बातचीत शुरू कर दी है. हालांकि अब तक इस दिशा में कुछ ठोस नहीं निकला है. हम इस दिशा में बातचीत करने के लिए जल्द मिलेंगे.
ऐसा है केसीआर का कार्यक्रम
राव 24 दिसंबर को कोणार्क मंदिर और जगन्नाथ मंदिर जाएंगे. भुवनेश्वर के बाद राव कोलकाता जाएंगे जहां वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलेंगे. कोलकाता में काली माता मंदिर में पूजा के बाद वह नयी दिल्ली जाएंगे. इसके बाद 25 दिसंबर से राव दो तीन दिन राष्ट्रीय राजधानी में रहेंगे. विज्ञप्ति में कहा गया था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट करेंगे. वह सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती से भी मिलेंगे.
किसे हो सकता फायदा-नुकसान
महागठबंधन के आकार न लेने की सूरत में बड़ा फायदा बीजेपी को मिलेगा. लेकिन ये भी याद रखना होगा कि ये सभी क्षत्रप अपने अपने गढ़ों में मजबूत हैं. ऐसे में बीजेपी इन्हें कैसे भेद पाएगी, इसे भी देखना होगा. बंगाल में तमाम कोशिशों और वोट शेयर बढ़ने के बावजूद उसकी सीटों में इजाफा नहीं हुआ है. यही हाल ओडिशा का है. हालांकि पंचायत चुनाव में बीजेपी को जरूर बड़ा फायदा हुआ है. महागठबंधन में तृणमूल, बेजेडी और टीआरएस जैसे बड़े प्लेयर के बाहर हो जाने से कांग्रेस की उम्मीदों को बड़ा झटका लगेगा.