मॉनसून सत्र से गायब नहीं रह पाएंगे कांग्रेस सांसद, पार्टी ने ऐसे लगा दी सभी की `ड्यूटी`
संसद के सत्र के दौरान सदन से सांसदों के गायब रहने की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने नया तरीका निकाला है. सांसदों को दो ग्रुप में बांटकर उनकी ड्यूटी लगाई गई है.
नई दिल्ली: संसद के सत्र के दौरान सदन से सांसदों के गायब रहने की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने नया तरीका निकाला है. कांग्रेस पार्टी ने मॉनसून सत्र के लिए अपने राज्यसभा सांसदों को दो ग्रुप में बांटकर उनकी ड्यूटी लगाई है. सांसदों के लिए ड्यूटी से छुट्टी लेना भी आसान नहीं है क्योंकि इसके लिए उन्हें एक ऐसे सांसद को सदन में आने के लिए तैयार करना होगा, जिनकी ड्यूटी नहीं लगी है. राज्य सभा में पार्टी के चीफ व्हिप भुवनेश्वर कालिता ने पत्र भेज कर सभी सांसदों को उनके ड्यूटी टाइम के बारे में बताया है.
उन्होंने कहा, 'इस बार सदन में कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा होनी है. इसलिए हमने एक रोस्टर तैयार किया है ताकि हर समय सदन में हमारी उपस्थिति अच्छी रहे.' सांसदों से कहा गया है कि अपने बाकी काम रोस्टर के अनुसार ही तय करें और यदि कहीं जाना बहुत जरूरी हो तो यह सुनिश्चित करने के बाद ही जाएं कि दूसरे ग्रुप का कोई एक सांसद सदन में जरूर मौजूद हो. सांसद यदि तय समय के दौरान सदन से बाहर जाते हैं तो उन्हें इसकी जानकारी संसद में कांग्रेस पार्टी के कार्यालय को देनी होगी.
दो ग्रुप में लगी ड्यूटी
कांग्रेस पार्टी ने अपने सांसदों की ड्यूटी दो ग्रुप में लगाई है. दोनों ग्रुप में 25-25 सांसद हैं. एक ग्रुप के लिए दोपहर दो बजे से साढ़े चार बजे तक सदन में रहना अनिवार्य है, जबकि दूसरे ग्रुप को साढ़े चार बजे से सदन की कार्रवाई खत्म होने तक राज्यसभा में रहना होगा. पार्टी ने ग्रुप में गुलाम नबी आजाद, डॉ. मनमोहन सिंह, अहमद पटेल, ऑस्कर फर्नांडीज़, अंबिका सोनी और मोतीलाल वोरा को रखा है. जबकि ग्रुप बी में आनंद शर्मा, एके एंटनी, दिग्विजय सिहं, अभिषेक मनु सिंघवी, पी चिदंबरम और राज बब्बर शामिल हैं.
पीएम भी जता चुके हैं चिंता
सभी राजनीतिक दलों के लिए सदन में सांसदों की गैर मौजूदगी चिंता का विषय है. कई बार ऐसी स्थिति भी पैदा हो चुकी हैं जब सदन में कोरम पूरा नहीं होने के कार्रवाई रोकनी पड़ती है. ऐसे मौके भी देखे गए जब केंद्रीय मंत्री ही अपने मंत्रालय से जुड़े पूरक सवालों का जवाब देने के लिए सदन में मौजूद नहीं थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बारे में चिंता जता चुके हैं. उन्होंने पिछले साल पार्टी के सांसदों को संबोधित करते हुए कहा था कि यह विषय सांसदों से सदन में मौजूद रहने का आग्रह करने का नहीं है, बल्कि यह उनकी बुनियादी जिम्मेदारी है.