Geeta Gyan: व्यक्ति एस एक चीज के लिए किसी भी रिश्ते को छोड़ देता है, जानकर हैरान रह जाएंगे आप!
Bhagwat Geeta rules For Life: प्यार और विश्वास किसी भी रिश्ते की नींव होता है. लेकिन एक रिलेशन में रिस्पेक्ट की भी अपनी जगह होती है. अगर कपल आपस में एक दूसरे की इज्जत नहीं करते, या फिर आपके आत्मसम्मान जैसा भाव नहीं है, तो रिश्ते का अंजाम कुछ भी हो सकता है.
Self Respect In Relationship: सभी जानते हैं, कि श्रीमद भगवद गीता में श्री कृष्ण द्वारा बताए गए वो सभी सारे ज्ञान और उपदेश शामिल है, जो उन्होंने महाभारत की रणभूमि में पांडव पुत्र अर्जुन को दिए थे. आज के मानव ने अगर इसे समझकर अपने जीवन में वहीं बातें उतार लीं, तो मन और दुनिया की सभी चीजों से जीता जा सकता है. दरअसल गीता में आध्यात्मिक, व्यवहारिक और कर्म के बारे में बहुत बारीकी से सभी बातें बताई गई हैं.
आजकल रिलेशनशिप में लोग कई तरह की परेशानियों का सामना करते हैं. आपको बता दें, गीता के उपदेशों की मदद से आप अपने रिश्ते के भविष्य को बदल सकते हैं. आज हम आपको गीता का एक ऐसा उपदेश बताएंगे, जिसे जानने के बाद अगर आप एक टॉक्सिक रिलेशन में होंगे तो उससे आसानी से बाहर आ सकते हैं....
भगवत गीता में रिश्तों के बारे में श्री कृष्ण ने क्या कहा है-
श्री कृष्ण गीता में कहते हैं, कि जब कोई समझदार इंसान अपने सबसे प्रिय व्यक्ति और करीबी रिश्ते को छोड़ने के लिए तैयार हो जाता है, तो ये समझ लेना चाहिए कि उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है.
1. आत्मसम्मान क्या है
आज हम आपको बताएंगे कि आत्मसम्मान किसे कहते हैं. जब कोई व्यक्ति खुद के चरित्र और आचरण सम्मान करता है, उसे लेकर गलत सही का फैसला करने में सक्षम होता है, इसे स्वाभिमान यानी आत्मसम्मान कहते हैं. कभी-कभी इसमें अभिमान का भी थोड़ा अंश मिल जाता है. फिर भी इन दोनों बातों के बीच छोटा सा ही फर्क होता है. वैसे तो अभिमान को घमंड का रूप दिया जाता है. लेकिन आत्मसम्मान के कारण की बार बड़ी से बड़ी हानि भी झेलनी पड़ती है.
2. आत्मसम्मान की क्यों होती है जरूरत
अगर आपको अपने आत्मसम्मान का बोध नहीं है, तो ये समझदारी का प्रतीक नहीं है. क्योंकि इसका एहसास हर एक व्यक्ति के लिए जरूरी है. आत्मसम्मान को जब तक आप अंदर मन से महसूस नहीं करेंगे तब तक आप खुद को दूसरों को ठेस पहुंचाते रहेंगे. लेकिन एक बार इसका बोध होते ही आप लोगों से अपने आत्मसम्मान को बहुत प्रोटेक्ट करने लगते हैं. जब आप खुद इसे नहीं समझते हैं, तो दूसरों को अपने साथ अनादर करने की छूट देने लगते हैं.