Planet Remedies: कभी भी कोई स्थिति खराब होती है तो आम बोलचाल में भी आदमी पूछ लेता है कि क्या भैय्या ग्रह दशा खराब चल रही है, यानी  कि ग्रहों का प्रभाव हम सब पर है यह एक  वैज्ञानिक तथ्य है. आज हम लोग बात करेंगे कि कौन से ग्रह के खराब होने पर व्यक्ति के जीवन पर क्या असर होता है. वहीं इसके विपरीत हम लोग अपने लक्षणों को देखकर यह अंदाजा लगाने की कोशिश करें कि व्यक्तिगत कुंडली में कौन सा ग्रह खराब होगा. चलिए बात करते है नौ ग्रहों की , ग्रह सात है और दो छाया ग्रह राहु और केतु है. जो ग्रह न होते हुए भी ज्योतिष में ग्रहों की तरह मान्य है. आइए जानते हैं किस ग्रह का व्यक्ति पर कैसा असर रहता है.  


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आलस्य छाए तो समझें ग्रहों के राजा नाराज


नवग्रह में सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है. किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य के नाराज होने पर उसके चेहरे से तेज गायब हो जाता है. व्यक्ति थोड़े से काम के बाद ही आलस्य और थकान का अनुभव करता है. हार्ट बीट यानी दिल की धड़कन ज्यादा होने लगती है. इनके सबके अलावा व्यक्ति को बाबा और पिता का सुख नहीं मिलता है.


मन का कारक नाराज तो बढ़ती निराशा 


ग्रहों में चंद्रमा मन का कारक है, उसके कुपित या नीच का होने से निराशा और उदासी बढ़ती है. हर समय भय सताता रहता है और छोटी छोटी बात पर रोना आने लगता है. प्रत्येक मास में पड़ने वाली पूर्णिमा और अमावस्या पर मानसिक उलझन और भी बढ़ जाती है. अक्सर सर्दी जुकाम की समस्या बनी रहती है. बेवजह की बातों को लेकर रिश्ते नातेदार और परिजनों के साथ अनबन हो जाती है. 


सेनापति के रुष्ट होने पर आता अधिक क्रोध


मंगल को ग्रहों का सेनापति माना जाता है. उनके नाराज होने पर व्यक्ति को क्रोध अधिक आता है. शरीर में खून की कमी के साथ ही उत्साह की कमी भी रहती है. आंखों में लालिमा छाई रहती है और सबसे अधिक असर उसकी वाणी पर पड़ता है परिणामस्वरूप वह कर्कश हो जाती है. 


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राजकुमार की नाराजगी करती है भ्रमित


ग्रहों के राजकुमार बुध ग्रह की नाराजगी व्यक्ति को भ्रमित कर देती है, वह असमंजस में बना रहता है. देखा गया है कि ऐसे लोगों की बोली स्पष्ट नहीं होती है. बातचीत के दौरान उनमें हकलाना या तुतलाना जैसी समस्या भी देखने को मिलती है. बुध प्रभावित होने से पारिवारिक और खास तौर पर बहन से संबंध अच्छे नहीं रहते हैं. स्किन में रूखापन की समस्या भी रहती है.


देवगुरू कुपित तो हो जाता अपमान


देवताओं के गुरु बृहस्पति के कुपित होने पर मान सम्मान की हानि होती है, लोगों से मान सम्मान भी कम मिलता है. दूसरों की गलतियों का खामियाजा भुगतना पड़ता है. श्वास रोग भी इनकी नाराजगी का प्रतिफल है.  समझ कमजोर होने से व्यापारी वर्ग को  धन की हानि और विद्यार्थियों को पढ़ाई में नुकसान उठाना पड़ता है. 


दैत्य गुरु देते मेहनत का देर से फल


दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य शुक्र ग्रह के प्रतीक हैं. उनकी नाराजगी की स्थिति में व्यक्ति को मेहनत करने का फल कुछ देरी से ही मिल पाता है. सेहत के मामले में उन्हें त्वचा संबंधी रोग और गुप्त रोग जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है. न केवल सेहत बल्कि व्यक्ति को आर्थिक हानि का नुकसान भी वहन करना पड़ता है ऐसे व्यक्ति के कर्ज में वृद्धि होती  रहती है. सुख संसाधन होते हुए भी इनका सुख नहीं उठा पाता है.


न्याय के देव शनि महाराज कराते रोजगार में बदलाव


न्याय के देवता के रूप में विख्यात शनि ग्रह के कुपित होने पर रोजगार में संघर्ष करना पड़ता है, नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र कमजोर रहता है जिसके चलते कई तरह की परेशानी आती हैं. व्यक्ति को मान सम्मान की हानि होती है और कर्मचारी तथा सहयोगियों से मनमुटाव कराती है.  


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