ASTROLOGY: घर के इन लोगों की कृपा से खत्म होते हैं ग्रहों के अशुभ असर! जानें कैसे
Astrology in Hindi: ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह के अशुभ फल से निजात पाने और उनसे शुभ फल को पाने के तरीके बताए गए हैं. इसमें से कुछ तरीके इतने खास हैं कि आप केवल अपने कुछ करीबियों को प्रसन्न करके ही ग्रहों के अशुभ असर से बच सकते हैं.
Grahon ko Shant Karne ke Upay: आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से संपूर्ण विश्व कर्म प्रधान है. हमारे शास्त्र भी कर्म बंधन की बात कहते हैं. 'कर्म प्रधान विश्व रचि राखा' 'जो जस करई तो तस फलि चाखा' सकल पदार्थ है जग माही, कर्म हीन नर पावत नाही. पदार्थ कभी नष्ट नहीं होता है केवल रूप बदल जाता है. हम जैसे कर्म करते हैं वैसा ही फल पाते हैं. ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए उपासना, यज्ञ और रत्न आदि धारण करने का विधान है. हम लोग जड़ की अपेक्षा सीधे जीव से संबंध स्थापित रखें तो ग्रह अति शीघ्र प्रसन्न हो सकते हैं. वेदों में कहा गया है मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, गुरु देवो भव अतिथि देवो भव.
अभिवादन शीलस्य नित्य बृध्दोपसेविनः .
चत्वारि तस्य वर्धन्ते, आयुर्विद्या यशो बलं..
अर्थात् मात्र प्रणाम करने से सदाचार के पालन से एवं नित्य वृद्धों की सेवा करने से आयु, विद्या, यश और बल की वृद्धि होती है. यदि हम जीवों के प्रति परोपकार की भावना रखें तो अपनी कुंडली में रुष्ट ग्रहों की रुष्टता को न्यूनतम कर सकते है. नवग्रह इस चराचर जगत में पदार्थ, वनस्पति, तत्व, पशु पक्षी इत्यादि में अपना वास रखते हैं. इसी तरह ऋषियों ने पारिवारिक सदस्यों और आस पास के लोगों में भी ग्रहों का प्रतिनिधित्व बताया है.
...इसलिए सूर्य को माना गया है पिता का कारक
माता-पिता दोनों के संयोग से किसी जातक का जन्म होता है, इसलिए सूर्य आत्मा के साथ-साथ पिता का प्रतिनिधित्व करता है और चंद्रमा मन के साथ-साथ मां का प्रतिनिधित्व करता है. श्वास ही जीवन है और इसको देने वाले सूर्य और चंद्र हैं. योग ने इस श्वास को प्राण कहा है.
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हर ग्रह से शुभ फल पाने के उपाय
आजकल ज्योतिष में तरह-तरह के उपाय प्रचलित हैं किन्तु व्यक्ति के आचरण संबंधी और जी के निकट संबंधियों के बारे में जो उपाय शास्त्रों में वर्णित हैं कदाचित वे चलन में नहीं रह गये है. यदि कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में नीच का हो तो कर्मविपाक सिद्धांत के अनुसार यह माना जाता है कि पिता रुष्ट रहे होंगे, तभी जातक सूर्य की अशुभ स्थिति में जन्म पाता है. सूर्य के इस अनिष्ट के उपाय के लिए इस जन्म में जातक को अपने पिता की सेवा करनी चाहिए और प्रातः चरण स्पर्श करें और अन्य सांसारिक क्रियाओं से उन्हें प्रसन्न रखें तो सूर्य अपना अशुभ फल कम कर सकते है.
सूर्य ग्रह रुष्ट है तो पिता को प्रसन्न करें.
चन्द्र रुष्ट है तो माता को प्रसन्न करें.
बुध रुष्ट है तो मामा और बंधुओं को प्रसन्न करें.
गुरु रुष्ट हो तो गुरुजन और वृद्धों को प्रसन्न करें.
शुक्र रुष्ट हो तो पत्नी को प्रसन्न करें.
शनि रुष्ट हो तो दास दासी को प्रसन्न करें.
केतु रुष्ट हो तो कोढ़ी को प्रसन्न करें.
पश्चाताप है अहम सीढ़ी
ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार यदि हम प्रेम सत्कार और आदर का भाव रख कर ग्रहों के प्रति व्यवहार करें तो रुष्ट ग्रह की नाराजगी को शांत किया जा सकता है.
शरणागत प्रभु काहु न त्यागा.
विश्व द्रोह अधकृत जहि लागा..
पश्चाताप सब कुछ शुद्ध कर देता है. गौ माता के समक्ष अपने किये अपराधों को कबूल किया जाये, तो पापों से मुक्त हो सकते हैं. भविष्य में अपराध की पुनरावृत्ति से बचे रहने के लिए भी प्रार्थना एवं कोशिश करें. सेवा भाव ही पाप के दंभ से बचने का श्रेष्ठ उपाय है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)