Bajrang Baan Path Lyrics: हिन्दू धर्म में मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है. बजरंग बली की पूजा करने से जीवन के दुख-दर्द, संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. मंगलवार को हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति को विधि विधान से बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए. इसका पाठ करने से कई चमत्कारी लाभ मिलते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में...


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1. ग्रह दोष से मुक्ति
कुंडली के ग्रह दोष से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति को बजरंग बाण का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए.


2. विवाह के योग
जिस व्यक्ति की शादी नहीं हो रही है उसे नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से जल्दी विवाह के योग बनते हैं.


3. रोगों से मुक्ति
अगर कोई गंभीर बीमारी से ग्रस्त है तो उसे बजरंग बाण का पाठ करने की सलाह दी जाती है. इससे हनुमान जी व्यक्ति को रोग से मुक्ति दिलाते हैं.


4. करियर में तरक्की
कार्यक्षेत्र और करियर में तरक्की पाने के लिए आप भक्तिभाव से बजरंग बाण का पाठ करें. इससे सफलता के सभी द्वार खुल जाते हैं.


5. वास्तु दोष
किसी भी प्रकार के वास्तु दोष को दूर करने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए.


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यहां पढ़ें बजरंग बाण का पाठ


॥श्री बजरंग बाण पाठ॥
॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते,
बिनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करैं हनुमान॥


॥ चौपाई ॥
जय हनुमंत संत हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥


जन के काज बिलंब न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥


जैसे कूदि सिंधु महिपारा ।
सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ॥


आगे जाय लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुरलोका ॥


जाय बिभीषन को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परमपद लीन्हा ॥


बाग उजारि सिंधु महँ बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ॥


अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेटि लंक को जारा ॥


लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ॥


अब बिलंब केहि कारन स्वामी ।
कृपा करहु उर अन्तर्यामी ॥


जय जय लखन प्राण के दाता ।
आतुर ह्वै दुःख करहु निपाता ॥


जै गिरिधर जै जै सुख सागर ।
सुर-समूह-समरथ भटनागर ॥


ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥


गदा बज्र लै बैरिहिं मारो।
महाराज प्रभु दास उबारो॥


ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो ।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।


ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीशा ।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ॥


सत्य होहु हरि शपथ पायके ।
राम दूत धरु मारु जाय के ॥


जय जय जय हनुमंत अगाधा ।
दुःख पावत जन केहि अपराधा ॥


पूजा जप तप नेम अचारा ।
नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ॥


वन उपवन मग गिरि गृह माहीं ।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ॥


पांय परौं कर जोरि मनावौं ।
येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥


जय अंजनि कुमार बलवंता ।
शंकर सुवन वीर हनुमंता ॥


बदन कराल काल कुल घालक ।
राम सहाय सदा प्रतिपालक ॥


भूत, प्रेत, पिशाच निशाचर ।
अग्नि बेताल काल मारी मर ॥


इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की ।
राखउ नाथ मरजाद नाम की ॥


जनकसुता हरि दास कहावो ।
ताकी शपथ बिलंब न लावो ॥


जै जै जै धुनि होत अकासा ।
सुमिरत होय दुसह दुःख नाशा ॥


चरण शरण कर जोरि मनावौं ।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥


उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई ।
पाँय परौं, कर जोरि मनाई ॥


ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥


ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल ।
ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ॥


अपने जन को तुरत उबारो ।
सुमिरत होय आनंद हमरो ॥


यह बजरंग बाण जेहि मारै ।
ताहि कहो फिरि कौन उबारै ॥


पाठ करै बजरंग बाण की ।
हनुमत रक्षा करै प्रान की ॥


यह बजरंग बाण जो जापै ।
ताते भूत-प्रेत सब कापैं ॥


धूप देय जो जपै हमेशा ।
ताके तन नहिं रहै कलेशा ॥


॥ दोहा ॥
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै,
सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करैं हनुमान ॥


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)