Sheetala Ashtami Katha: सनातन धर्म में हर त्योहार और व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है. इसे बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है. होली के ठीक 8 दिन बाद ये व्रत आता है. इस दिन मां शीतला को बासी और ठंडे खाने का भोग लगाने की परंपरा है. इतना ही नहीं, इस दिन व्रत रखा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं मां शीतला को बासी खाने का भोग क्यों लगाया जाता है. आइए जानते हैं माता क्यों ठंडा और बासी खाने के ही भोग स्वीकार करती हैं.  


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इसलिए लगाया जाता है मां को ठंडे खाने का भोग 


धार्मिक कथा के अनुसार जब मां शीतला देवलोक से धरती पर आईं थी, तो उनके साथ भगवान शिव के ललाट के पसीने से बना ज्वरासुर भी धरती पर आया था.  दोनों एक साथ राजा विराट के राज्य में पहुंचे और उनके राज्य में रहने की अनुमति मांगी. लेकिन राजा ने मां की बात को मानने से मना कर दिया और उन्हें कहीं दूर चले जाने की बात कही. राजा का ऐसा व्यवहार देख मां को बहुत क्रोध आया और अपने प्रकोप से राजा की प्रजा में गंभीर बीमारियां जैसे-  बुखार, हैजा, त्वचा रोग आदि फैलने लगे. 


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अपनी प्रजा की बुरी हालत देख राजा को गलती का अहसास हो गया और माता से अपनी भूल की माफी मांगी. मां के क्रोध को शांत करने के लिए राजा ने ठंडे भोजन जैसे कच्चा दूध, दही, लस्सी आदि का भोग लगाया. तब मां शीतला का क्रोध शांत हुआ. तब से हर साल शीतला माता को बासी और ठंडे खान का भोग लगाया जाता है. 


ऐसी भी है एक मान्यता 


मां शीतला को बासी और ठंडे खाने का भोग लगाने के पीछे एक मान्यता ये भी है, कि शीतला अष्टमी के दिन घर में चूल्हा जलाना माना होता है. इसलिए माता शीतला के लिए एक दिन पहले ही भोग तैयार कर लिया जाता है. मां का भोग सप्तमी तिथि को ही तैयार कर लिया जाता है और अष्टमी तिथि को पूजा के दौरान भोग लगाते हैं. इस दिन घर में चूल्हा जलाने के साथ-सात नए वस्त्र धारण करने से भी बचना चाहिए.  वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन काले रंग के कपड़े भी धारण न करें. 


शीतला माता की पूजा से मिलते हैं ये लाभ


ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति मां शीतला की पूजा श्रद्धापूर्वक और पूरे मन से करता है, उसके दुख-दर्द और रोग सभी दूर हो जाते हैं. इतना ही नहीं, मां के आशीर्वाद से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शीतलता प्राप्त होती है. साथ ही, मां शीतला की कृपा से संतान को भी सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. मां की कृपा से बच्चों की भी किसी प्रकार के दुख का सामना नहीं करना पड़ता.   


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)