Bhai Dooj Story: कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया हो यम द्वितीया भी कहा जाता है. इस पर्व का मुख्य लक्ष्य भाई बहन के पवित्र संबंध और प्रेम को और भी प्रगाढ़ बनाना है. इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ एवं दीर्घायु होने की मंगलकामना करते हुए उन्हें तिलक लगाने के साथ ही कुछ स्थानों पर बेरी पूजन करने की भी परंपरा है. इस वर्ष यह पर्व 15 नवंबर को होगा. 


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भैया दूज कैसे मनाएं
दूज के दिन भाइयों को गंगा यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. टीका कराने के लिए भाइयों को बहन के घर जाना चाहिए और बहन को भी अपने भाई को भोजन करा कर टीका करना चाहिए. ऐसा करने से भाई की आयु बढ़ती है और उनके जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं. भोजन करने और टीका कराने के बाद भाइयों को चाहिए कि वह अपनी बहन को उपहार अवश्य दें. 


इस तरह है भैया दूज की कथा
सूर्यदेव की पत्नी का नाम छाया था और उन्हीं से यमराज और यमुना का जन्म हुआ. यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थीं. वह बार बार अपने भाई से अपने यहां आने का निमंत्रण देती थीं. एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को उन्होंने अपने भाई से घर पर आने का वचन ले लिया. यमराज जाने में इसलिए संकोच करते ते कि वह तो लोगों के प्राणों को हरने वाले हैं उनके जाने से विपरीत असर पड़ेगा किंतु इस बार बहन की बात को नहीं टाल सके क्योंकि वचन दे चुके थे. यमराज के घर आगमन पर प्रसन्नता से उन्हें स्नान करा बहन ने अपने हाथों से बना हुआ भोजन कराया. बहन के आतिथेय से प्रसन्न होकर उन्होंने वर मांगने को कहा, इस पर यमुना ने कहा भाई, आप हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मेरे घर आकर भोजन किया करें. यमराज ने भी उन्हें तथास्तु कहते हुए रत्न, वस्त्र आदि ढेर सारे उपहार भेंट में दिए. ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन यमुना में स्नान कर बहन के आतिथ्य को स्वीकार करता है, उसे यम का भय नहीं रहता है.