Who is Chitragupt: आपने पौराणिक कथाओं और फिल्मों में चित्रगुप्त के बारे में कई बार पढ़ा-देखा होगा. आखिर वे कौन हैं और उनका यमराज से क्या संबंध है. आज इस लेख में हम उनके बारे में बताते हैं.
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Relation between Chitragupt and Yamraj: हम सबने कई पौराणिक कथाओं में चित्रगुप्त का जिक्र सुना है, जो यमराज के साथ रहते हैं और आत्माओं के कर्मों का हिसाब-किताब करते हैं. लेकिन बेहद कम लोग जानते हैं कि चित्रगुप्त असल में कौन हैं, उन्हें ये काम किसने दिया और वो यमराज के सहयोगी कैसे बने. तो, चलिए जानते हैं इस बारे में. चित्रगुप्त का उल्लेख गरुड़ पुराण और अन्य पौराणिक कथाओं में मिलता है, जहां उन्हें न्याय का देवता माना जाता है. भगवान ब्रह्मा ने चित्रगुप्त को सभी जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने के लिए नियुक्त किया ताकि मृत्यु के बाद उचित न्याय हो सके. चित्रगुप्त का कार्य प्रत्येक जीव के अच्छे और बुरे कर्मों को दर्ज करना है, जिसे जानकर यमराज किसी जीव की आत्मा के संबंध में उचित फैसला लेते हैं. चित्रगुप्त की पूजा मुख्य रूप से चित्रगुप्त जयंती पर की जाती है, विशेष रूप से कायस्थ समुदाय के लोग उनकी आराधना करते हैं.
भगवान ब्रह्मा ने की थी रचना
यजनश्री ट्विटर हैंडल के अनुसार, चित्रगुप्त का उल्लेख गरुड़ पुराण और कई अन्य पौराणिक कथाओं में मिलता है. चित्रगुप्त भगवान को न्याय का देवता माना जाता है क्योंकि वो सभी मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और मृत्यु के बाद आत्मा के साथ सही न्याय हो, उसके कर्मों के अनुसार उसकी आगे की यात्रा हो, वो इस बात ख्याल रखते हैं. कहते हैं कि जब सृष्टि का निर्माण हुआ, तो भगवान ब्रह्मा ने सभी जीवों की रचना की लेकिन उन जीवों की मृत्यु भी तय थी. इसलिए, जीवित रहते हुए जीव के कर्मों का हिसाब-किताब रखना जरूरी था, ताकि उस आधार पर मृत्यु के बाद की उसकी यात्रा या उसकी सजा तय की जा सके. इसलिए, इस काम के लिए चित्रगुप्त को नियुक्त किया गया.
चित्रगुप्त को पूजने वाले कहलाते हैं कायस्थ
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने अपनी योग शक्ति से 12,000 वर्षों तक ध्यान किया. इस ध्यान के फलस्वरूप उनकी काया से एक दिव्य पुरुष प्रकट हुए, जो चित्रगुप्त थे. ब्रह्मा जी की काया से उत्पन्न होने के कारण भगवान चित्रगुप्त को पूजने वाले या उनके वंशज कायस्थ कहलाते हैं. चित्रगुप्त का कार्य प्रत्येक जीव के गुप्त और प्रकट कर्मों को दर्ज करना है. चित्रगुप्त प्रत्येक जीव के अच्छे और बुरे कर्मों को लिखते हैं. मरने के बाद यमलोक में, जब कोई जीव पहुंचता है, तो चित्रगुप्त का लेखा-जोखा यमराज को प्रस्तुत किया जाता है. इस आधार पर, यमराज जीव को स्वर्ग, नरक, या पुनर्जन्म में भेजने का निर्णय लेते हैं. चित्रगुप्त को निष्पक्ष और अचूक न्याय का प्रतीक माना जाता है. वे कर्मों का लेखा-जोखा निष्पक्षता से करते हैं. वे कर्म के सिद्धांत के आधार पर निर्णय करते हैं, जो यह सिखाता है कि आपके हर कर्मों का फल आपको अवश्य मिलता है.
यमराज को प्रस्तुत करते हैं जीवों के कर्मों का ब्योरा
यमराज मृत्यु के देवता के साथ-साथ दंड और न्याय के देवता भी हैं, जो कर्मों के आधार अपना निर्णय सुनाते हैं. चित्रगुप्त इस कार्य में एक वकील की भांति भूमिका निभाते हैं. मृत्यु के देवता यमराज को ब्रह्मा ने यह दायित्व सौंपा कि वे जीवों के मृत्यु के बाद उनके कर्मों के अनुसार न्याय करें. लेकिन यह कार्य अकेले यमराज के लिए कठिन था, क्योंकि सृष्टि में अनगिनत जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा रखना बड़ा कार्य था. इसलिए, ब्रह्मा ने चित्रगुप्त को यह कार्य दिया कि वे प्रत्येक प्राणी के जन्म से मृत्यु तक किए गए कर्मों का लेखा-जोखा रखें और यमराज को न्याय करने में सहयोग करें.
कब मनाई जाती है चित्रगुप्त जयंती?
यमराज और चित्रगुप्त का काम एक-दुसरे के बिना पूर्ण नहीं है. यह जोड़ी सृष्टि में कर्म और धर्म के नियमों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हिन्दू धर्म में चित्रगुप्त की पूजा मुख्य रूप से चित्रगुप्त जयंती (दीपावली के बाद की द्वितीया) को की जाती है. विशेष रूप से कायस्थ समुदाय के लोग उनकी आराधना करते हैं. मान्यता है कि चित्रगुप्त भगवान् की पूजा करने से नरक के कष्ट नहीं भोगने पड़ते.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)