Mythology Story Of Brahma Ji : ...इसलिए काटा गया था ब्रह्मा जी का पांचवा सिर! जानें ब्रह्मांड के रचयिता की पूजा न होने की वजह
Brahma Mandir: हिंदू धर्म और समस्त विश्व के रचयिता ब्रह्मा जी का मंदिर या घर में कोई विशेष स्थान प्राप्त नहीं है और क्यों कटा गया ब्रह्मा जी का पांचवा सिर. इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है, आइए जानते हैं.
Brahma Temple in Pushkar: हिंदू धर्म में सारे देवी-देवताओं का पूजन किया जाता है. लेकिन पूरी सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती है. न ही उन्हें मंदिर में स्थान दिया गया है. न ही उनकी कोई प्रतिमा घर में स्थापित की जाती है. पुष्कर में विख्यात मंदिर है जहां ब्रह्मा जी का पूजा की जाती है.
क्यों कटा गया ब्रह्मा जी का पांचवा सिर:
क्या आपको पता है ब्रह्मा जी के चार नहीं पांच सिर थे जिसे शिव जी ने काट दिया था. शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा जी जब संसार की रचना कर रहे थे तब उन्होंने बेहद सुंदर स्त्री को बनाया, जो थी सतरूपा. वो इतनी सुंदर थी कि खुद ब्रह्मा जी उन पर मुग्ध और उन्हें टकटकी बांधकर निहारने लगे. सतरूपा ने इससे बचने के अत्थाह प्रयास किए लेकिन असफल रहीं. सतरूपा ने अपने आप को बचाने के लिए ऊपर की ओर देखने लगीं, तो ब्रह्मा जी ने अपना एक सिर ऊपर की ओर विकसित कर लिया. ब्रह्मा जी की ये सारी हरकतें शिव जी देख रहे थे. शिव जी की दृष्टि से सतरूपा ब्रह्मा की पुत्री जैसी थीं, इसलिए उन्हें यह घोर पाप लगा और ब्रह्मा जी का पांचवा सिर काट दिया.
पुष्कर का पौराणिक कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार मान्यता है कि एक बार ब्रह्मा जी ने धरती पर यज्ञ करने का विचार किया. इसके लिए उन्होंने कमल का फूल पृथ्वी पर भेजा. कमल का फूल जिस जगह गिरा वो था राजस्थान का पुष्कर. कमल के फूल का अंश गिरने से उस स्थान पर तालाब बन गया. कहा जाता है कि ब्रह्मा जी धरती लोक पर जब यज्ञ करने आए तब उनकी पत्नी सावित्री को किसी बात का ज्ञात न होने पर उस स्थान पर नहीं आ पाई. यज्ञ की मुहूर्त बीतता जा रहा था और सभी देवी-देवता भी यज्ञ स्थल पहुंच चुके थे. मुहूर्त बीत न जाएं इसके लिए ब्रह्मा जी ने नंदिनी गाय के मुख से माता गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह करके उनके साथ शुभ मुहूर्त में यज्ञ किया.
कुछ समय बाद जब उनकी पत्नी सावित्री को पता चला तो वह भी पृथ्वी लोक जा पहुंची, जहां उनके बगल में गायत्री माता को देखकर क्रोधित हो गई और ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि आपकी पूजा पृथ्वी लोक में नहीं की जाएगी. इस श्राप को देखते हुए सभी देवी-देवताओं ने आग्रह किया कि वो अपने वचन वापस ले ले, जिसके बाद उन्होंने अपना श्राप वापस लिया और कहा कि सिर्फ पुष्कर में ही ब्रह्मा जी की पूजा की जाएगी. इसके बाद से पूरे देश-दुनिया में ब्रह्मा जी की पूजा सिर्फ पुष्कर में की जाती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)