Digambar Ani Akhada: बाकी अखाड़ों से क्यों अलग है दिगम्बर अनी अखाड़ा, जानिए कितना पुराना है इस अखाड़े का इतिहास
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Digambar Ani Akhada: बाकी अखाड़ों से क्यों अलग है दिगम्बर अनी अखाड़ा, जानिए कितना पुराना है इस अखाड़े का इतिहास

Digambar Ani Akhada: जैसे-जैसे प्रयागराज का महाकुंभ मेला पास आता जा रहा है, इसकी प्राचीनता और भव्यता को लेकर लोगों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है.

Digambar Ani Akhada: बाकी अखाड़ों से क्यों अलग है दिगम्बर अनी अखाड़ा, जानिए कितना पुराना है इस अखाड़े का इतिहास

Digambar Ani Akhada: जैसे-जैसे प्रयागराज का महाकुंभ मेला पास आता जा रहा है, इसकी प्राचीनता और भव्यता को लेकर लोगों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है. गंगा नदी के विस्तृत तट पर लगने वाला यह मेला पूरी दुनिया से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है. करीब डेढ़ महीने तक चलने वाला यह आयोजन हर 6 साल में अर्धकुंभ और 12 साल में महाकुंभ के रूप में आयोजित किया जाता है. कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण यहां आने वाले साधु-संतों के अखाड़े होते हैं. ये साधु एक महीने तक गंगा तट पर रहकर पूजा-अर्चना करते हैं, उनके शाही स्नान मेले का सबसे महत्वपूर्ण आयोजन माने जाते हैं. आइए, अब जानते हैं दिगम्बर अनी अखाड़ा के बारे में.

शंकराचार्य ने की थी इन 7 प्रमुख अखाड़ों की स्थापना

शंकराचार्य ने 7 प्रमुख अखाड़ों की स्थापना की थी, इनमें महानिर्वाणी, निरंजनी, जूना, अटल, आवाहन, अग्नि, और आनंद अखाड़ा शामिल है.  इनका उद्देश्य न केवल धार्मिक अनुष्ठानों को बढ़ावा देना था, बल्कि हिंदू धर्म और इसके अनुयायियों की रक्षा भी करना था. समय के साथ इन अखाड़ों की संख्या बढ़कर 13 हो गई. इन अखाड़ों को मुख्य रूप से शैव, वैष्णव और उदासीन संप्रदायों में विभाजित किया गया है. महाकुंभ मेले में इनकी भव्य झांकियां और शाही स्नान इन्हें विशिष्ट पहचान देते हैं.

क्यों खास है दिगंबर अनी अखाड़ा

श्री दिगंबर अनी अखाड़ा वैष्णव संप्रदाय के तीन प्रमुख अखाड़ों में से एक है और इसे सबसे बड़ा अखाड़ा माना जाता है. इस अखाड़े के साधु सफेद वस्त्र धारण करते हैं, माथे पर उर्ध्वपुंड्र (तिलक) लगाते हैं और जटा रखते हैं. यह पहचान इन्हें शैव संप्रदाय के साधुओं से अलग करती है, जो त्रिपुंड्र (त्रिशूल के आकार का तिलक) लगाते हैं.

इस अखाड़े का धर्म ध्वज भी अन्य अखाड़ों से अलग होता है. यह पांच रंगों का होता है और इस पर भगवान हनुमान की तस्वीर होती है. इस वक्त दिगंबर अनी अखाड़ा के प्रमुख श्री कृष्णदास महाराज हैं. देशभर में इसके 450 से अधिक केंद्र हैं, जिनमें चित्रकूट, अयोध्या, नासिक, वृंदावन, जगन्नाथपुरी और उज्जैन में प्रमुख केंद्र शामिल हैं. इन्हीं वजहों से श्री दिगंबर अनी अखाड़ा अन्य वैष्णव अखाड़ों से अलग और विशिष्ट है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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