Buddha Purnima 2024 Date: आज 23 मई, गुरुवार को पूरे देश में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जा रही है. वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है. इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्‍म हुआ था और इसी दिन उन्‍हें बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्‍त हुआ था. देश-दुनिया से लोग आज बड़ी संख्‍या में बोधगया में जुटते हैं. वहीं वैशाख पूर्णिमा के चलते लोग पवित्र नदियों में स्‍नान करते हैं और दान-पुण्‍य करते हैं. इस दिन का इसलिए भी खास महत्‍व है क्‍योंकि वैशाख महीना भगवान विष्‍णु को समर्पित है और भगवान बुद्ध को भगवान विष्‍णु का 9वां अवतार माना जाता है. बौद्ध धर्म के संस्‍थापक भगवान बुद्ध का जीवन बेहद रोचक है. विवाह के बाद पत्‍नी-बच्‍चे और सारे सारे राजपाट को छोड़कर वे वन में भटकने निकल गए थे. फिर बड़ी तपस्‍या के बाद उन्‍हें ज्ञान प्राप्‍त हुआ था. 


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भगवान बुद्ध की लेटी हुई मुद्रा 


भगवान बुद्ध की प्रतिमाएं अप्रतिम शांति का अहसास कराती हैं. वैसे तो भगवान बुद्ध की अलग-अलग मुद्राओं में प्रतिमाएं और तस्‍वीरें हैं. इसमें एक है भगवान बुद्ध की लेटी हुई मुद्रा. भगवान बुद्ध की यह मुद्रा सबसे खास है. भगवान बुद्ध की इस लेटी हुई मुद्रा में एक बड़ा रहस्‍य छिपा है, जो कि उनके जीवन के अंतिम पलों के बारे में बताता है. इसी लेटी हुई मुद्रा में भगवान बुद्ध ने अंतिम संदेश दिया था. 


जहर से हुई थी भगवान बुद्ध की मृत्‍यु 


भगवान बुद्ध ने उत्‍तर प्रदेश के कुशीनगर में अंतिम सांस ली थी. ऐसा कहते हैं कि गौतम बुद्ध की मृत्यु जहरीले खाने से हुई थी. विषैला भोजन खाने के बाद उनकी तबियत बहुत बिगड़ गई थी, इसके बाद वे वहीं जमीन पर लेट गए और वहीं पास में रखी किसी चीज पर उन्‍होंने अपना सिर टिका लिया था. बुद्ध जान गए थे कि उनका अंतिम समय आ गया था. सारे शिष्‍य उन्‍हें घेरकर बैठ गए थे. तब इसी लेटी हुई मुद्रा में भगवान बुद्ध ने अंतिम संदेश दिया था. भगवान बुद्ध की मृत्‍यु को महापरिनिर्वाण कहा जाता है और उनकी लेटी हुई मुद्रा को महापरिनिर्वाण मुद्रा कहा जाता है. कुशीनगर में महापरिनिर्वाण मंदिर है, जो कि बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों में शुमार है. इस मंदिर में भगवान बुद्ध की 6.1 मीटर ऊंची मूर्ति लेटी हुई मुद्रा में है. हर साल लाखों पर्यटक यहां भगवान बुद्ध के दर्शन करने के लिए आते हैं. 


ये है बुद्ध का अंतिम संदेश


भगवान गौतम बुद्ध ने अपनी अंतिम घड़ी में अपने शिष्यों जो अंतिम संदेश दिया था उसका एक प्रसिद्ध वाक्य है- 'अप्प दीपो भव' यानी कि अपने दीपक स्वयं बनो. इसका मतलब है कि मनुष्य को अपने उद्धार के लिए स्वयं जिम्मेदार होना चाहिए. हर व्यक्ति को अपने स्वयं के ज्ञान और अनुभव के आधार पर फैसला लेना चाहिए. इसके लिए कभी बाहरी सत्ता या शक्ति पर निर्भर न रहें. गौतम बुद्ध ने सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी, साथ ही सभी के साथ दयापूर्ण और करुणामय व्‍यवहार करने की सीख दी. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)